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Zero FIR(प्रथम सूचना रिपोर्ट)

• तेलंगाना के मुख्यमंत्री पर कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में एक पूर्व मंत्री के खिलाफ जीरो एफआईआर(Zero FIR) दर्ज की गई है।

जीरो एफआईआर के बारे में:

• यह एक तरह की एफआईआर है। इसे किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया जा सकता है।

इसके लिए जरूरी नहीं है कि एफआईआर उसी इलाके के पुलिस स्टेशन में दर्ज हो जहां अपराध हुआ है।

• एक बार एफआईआर दर्ज होने के बाद इसे आगे की जांच के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया जाता है।

• इसके तहत शुरुआत में कोई नियमित एफआईआर नंबर नहीं दिया जाता है। हालांकि,

जब मामला अधिकार क्षेत्र वाले पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर हो जाता है,

तो वहां एक नई एफआईआर दर्ज की जाती है और उसे एफआईआर नंबर दिया जाता है।

Zero FIR क्यों जरूरी हैं:

• जीरो FIR का उद्देश्य पीड़ित या मुखबिर को अधिकार क्षेत्र की सीमाओं से बाधित हुए बिना अपराध की तुरंत रिपोर्ट करने और जांच प्रक्रिया शुरू करने में सक्षम बनाना है। 

यह उन स्थितियों में विशेष रूप से सहायक है जहां पीड़ित उचित क्षेत्राधिकार के भीतर पुलिस स्टेशन तक पहुंचने में असमर्थ है या अधिकार क्षेत्र के मुद्दों के कारण शिकायत दर्ज करने में कठिनाइयों का सामना कर रहा है।

•एक बार जीरो FIR दर्ज हो जाने के बाद, पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह मामले को निर्धारित समय सीमा के भीतर, आमतौर पर 24 घंटे के भीतर उपयुक्त पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित करे। 

स्थानांतरित की गई एफआईआर अपनी मूल संख्या को बरकरार रखती है और जांच और कानूनी कार्यवाही के लिए वैध रहती है।

• जीरों FIR की अवधारणा यह सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई थी कि आपराधिक कार्यवाही और जांच शुरू करने में कोई देरी न हो,

क्योंकि बलात्कार, हत्या या अपहरण जैसे गंभीर अपराधों के मामलों में एफआईआर का तुरंत पंजीकरण महत्वपूर्ण है। 

इसका उद्देश्य अपराधों के पीड़ितों को उनके स्थान या पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र की परवाह किए बिना शीघ्र और कुशल न्याय प्रदान करना है।

• किसी भी कानून में एफआईआर शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है।

पुलिस विनियमों/नियमों में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 154 के तहत दर्ज की गई जानकारी को एफआईआर के रूप में जाना जाता है।

• भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 173 में जीरो एफआईआर(Zero FIR) शब्द का स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन इसे दर्ज करने से संबंधित प्रावधान किए गए हैं।

 • उल्लेखनीय है कि जीरो एफआईआर(Zero FIR) की अवधारणा निर्भया मामले के बाद गठित न्यायमूर्ति वर्मा समिति (2012) की सिफारिशों पर आधारित है।

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