इस सूचकांक की घोषणा मोरक्को में आयोजित “अंतर्राष्ट्रीय मृदा सम्मेलन” (World Soil Health Index)में की गई है।
यह सूचकांक विश्व के अलग-अलग क्षेत्रों और पारिस्थितिकी तंत्रों में मृदा की गुणवत्ता का विश्लेषण एवं तुलना करने वाली मापों का मानक तय करेगा।
साथ ही, यह मृदा क्षरण की प्रवृत्ति या मृदा सुधार हेतु उपायों की पहचान भी करेगा।
इसके अतिरिक्त, यूनेस्को अपने बायोस्फीयर रिजर्व कार्यक्रम के तहत 10 प्राकृतिक स्थलों में मृदा और भू-क्षेत्रों के सतत प्रबंधन के लिए एक पायलट कार्यक्रम भी शुरू करेगा।
इस पायलट कार्यक्रम का लक्ष्य इन 10 स्थलों पर उपयोग किए जाने वाले प्रबंधन के तरीकों के प्रभाव का आकलन करना है।
साथ ही, यह कार्यक्रम यह भी सुनिश्चित करेगा कि विश्व के अन्य भागों में इससे जुड़ी सर्वोत्तम कार्य-पद्धतियों को विकसित और लागू किया जाए।
मृदा क्षरण(World Soil Health Index) के बारे में:
मृदा क्षरण(soil erosion) वास्तव में मृदा की गुणवत्ता में,
भौतिक, रासायनिक और जैविक गिरावट है।
मृदा क्षरण की वजह से उस मृदा पर निर्भर समुदायों को उत्पाद और सेवाएं प्रदान करने की उस मृदा पारिस्थितिकी तंत्र की क्षमता कम हो जाती है।
मृदा क्षरण की स्थितिः
विश्व मरुस्थलीकरण एटलस के अनुसार 75% भूमि का पहले ही क्षरण हो चुका है।
इसका सीधा प्रभाव 3.2 बिलियन लोगों पर पड़ रहा है। एक अनुमान के अनुसार 2050 तक 90% भूमि का क्षरण हो जाएगा।
भारत में, लगभग 32% भूमि क्षरित हो रही है और 25% भूमि मरुस्थलीकरण की प्रक्रिया से गुजर रही है।
मृदा क्षरण(World Soil Health Index) के लिए जिम्मेदार कारकः
वनों की कटाई
कृषि की असंधारणीय विधियां
औद्योगिक प्रदूषण
वायु, जल जैसे प्राकृतिक स्रोतों का प्रदूषण आदि।
मृदा क्षरण के प्रभाव:
मृदा क्षरण से मृदा की उर्वरता कम हो जाती है।
इससे पौधों की वृद्धि और कृषि उत्पादन में कमी आती है।
मृदा में भंडारित कार्बन का वायुमंडल में उत्सर्जन हो जाता है।
इससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन में वृद्धि होती है।
मृदा के लाभकारी सूक्ष्मजीवों में कमी आती है।
गौरतलब है कि ये सूक्ष्मजीव पोषक चक्र, कीट नियंत्रण और पौधों की वृद्धि में योगदान करते हैं।
मृदा क्षरण(soil erosion) की रोकथाम के लिए शुरू की गई पहलें:
वैश्विक पहलें:
संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम कन्वेंशन (UNCCD) के तहत लैंड डिग्रेडेशन न्यूट्रैलिटी पहल शुरू की गई है।
बॉन चैलेंज शुरू किया गया है।
इसका उद्देश्य 2030 तक 350 मिलियन हेक्टेयर क्षरित भूमि और वनों की कटाई वाले भू-क्षेत्रों को वापस उनकी पुरानी प्राकृतिक स्थिति में बहाल करना है।
संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने ग्लोबल सॉइल पार्टनरशिप एक्शन प्लान 2022-2030 शुरू किया है।
भारत की पहलें:
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की गई है
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन चलाया जा रहा है;
परम्परागत कृषि विकास योजना जैसी जैविक खेती हेतु पहले चलाई जा रही हैं आदि।
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