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वॉयजर-1(Voyager-1)

नासा के वॉयजर-1(Voyager-1) ने पृथ्वी पर उपयोगी डेटा भेजना फिर से आरंभ कर दिया है।

गौरतलब है कि वायजर-1 ने नवंबर, 2023 से पृथ्वी पर डेटा भेजना बंद कर दिया था।

वायजर-1 के बारे में:

नासा का Voyager-1 मिशन

• यह एक फ्लाई बाई मिशन है। इसे 1977 में बृहस्पति और शनि के लिए लॉन्च किया गया था।

यह अंतरिक्ष यान 2012 में इंटरस्टेलर स्पेस में पहुंच गया था।

• हेलिओपौज़ के बाहर का क्षेत्र इंटरस्टेलर स्पेस कहलाता है। हेलियोस्फीयर का बाहरी किनारा हेलिओपौज़ कहलाता है।

• यह पहला अंतरिक्ष यान था, जिसने हेलियोस्फीयर सीमा को पार किया था।

हेलियोस्फीयर वह सीमा है, जहां सौर मंडल के बाहर के प्रभाव सौरमंडल में सूर्य के प्रभावों से ज्यादा मजबूत होते हैं।

• इसने बृहस्पति के चारों ओर एक पतले वलय तथा बृहस्पति के दो नए चंद्रमाओं (थेबे और मेटिस) की खोज की थी।

• इसने शनि के पांच नए चंद्रमा और उसके एक नए वलय की खोज की थी, जिसे जी-रिंग कहा जाता है।

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