हम्पी में भारी वर्षा के कारण विरुपाक्ष मंदिर(Virupaksha Temple) के ‘सालू मंडप’ का एक हिस्सा ढह गया है।
विरुपाक्ष मंदिर(Virupaksha Temple) के बारे में:
यह मंदिर भगवान विरुपाक्ष (या पम्पापति) को समर्पित है। विरुपाक्ष शिव का एक रूप है।
इनकी पत्नी स्थानीय देवी पम्पा हैं। देवी पम्पा को माता पार्वती का अवतार माना जाता है।
यह मंदिर हम्पी में स्थित है। हम्पी विजयनगर साम्राज्य (14वीं ईस्वी 16वीं ईस्वी) की राजधानी थी।यह मंदिर हम्पी में स्मारकों के उस समूह का एक हिस्सा है, जो यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में सूचीबद्ध हैं।
यह मंदिर स्थापत्य की द्रविड़ शैली में बना है।
इस शैली की खास विशेषताएं भव्य गोपुरम, विमान, जटिल नक्काशी, स्तंभ युक्त सभाकक्ष आदि हैं।
मंदिर(Virupaksha Temple) का इतिहास:
अभिलेखों के माध्यम से पता चलता है कि मंदिर का सबसे पहले निर्माण नौवीं-दसवीं शताब्दी में कराया गया था।
इसके बाद अलग-अलग राजवंशों ने मंदिर का विस्तार और अलंकरण कार्य कराया था।
पल्लव, चालुक्य, होयसल, चोल जैसे राजवंशों ने मंदिर के विस्तार और अलंकरण में अपना योगदान दिया है।
हालांकि, इसका सर्वाधिक विस्तार विजयनगर शासकों ने कराया था।
विजयनगर के संगम वंश के शासकों ने मंदिर को एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में मान्यता दिलाने में अपना योगदान दिया था।
तुलुव वंश के शासकों ने मंदिर का सर्वाधिक विस्तार कराया था।
कृष्णदेव राय (1509-29 ई.) ने अपने राज्यारोहण के उपलक्ष्य में मुख्य मंदिर के सामने एक सभाकक्ष के निर्माण के साथ-साथ पूर्वी गोपुरम का भी निर्माण कराया था।
विरुपाक्ष मंदिर के स्थापत्य की खास विशेषताएं:
मंदिर के गर्भगृह के ऊपर मौजूद विमान सबसे छोटा है। गर्भगृह मंदिर का सबसे पुराना हिस्सा है।
मंदिर परिसर एक प्राचीर से घिरा हुआ है। मंदिर में एक प्रवेश द्वार है, जिसे गोपुरम कहा जाता है।
मुख्य मंदिर के विमान का आकार सीढ़ीदार पिरामिड के समान है।
उल्लेखनीय है कि द्रविड़ शैली में निर्मित मंदिरों के विमान नागर शैली में निर्मित मंदिरों के वक्राकार शिखरों की बजाय ज्यामितीय आकार के होते हैं।
मंदिर परिसर में द्वारपाल की मूर्तियां बनाई गई हैं।
इसके अलावा, मंदिर में एक बड़ा जलाशय भी निर्मित है।
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