ये शख्स हैं दृष्टि आईएएस के संस्थापक डॉ. विकास कीर्ति(Vikas sir)। इनकी पहचान टीचर, लेखक, लेक्चरर, यूट्यूबर से लेकर मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में है।
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वालों में इस शख्स को सम्मान से देखा जाता है।
इस शख्स के एक-एक शब्द को युवा बड़े ही ध्यान से सुनते हैं।
कई युवा ना सिर्फ इन्हें सुनते हैं बल्कि इनकी बातों को फॉलो कर जीवन में सफल भी हुए।
इनके वीडियो को कई युवा तो बड़े ही शान से न सिर्फ स्टेटस लगाते हैं बल्कि अपने दोस्तों और रिश्तेदारों में शेयर करते हैं।
गूगल पर लोग डॉ. विकास दिव्यकीर्ति(Vikas sir) के वीडियो के अलावा उनकी उम्र, उनकी संपत्ति, उनकी यूपीएससी रैंक से लेकर बायोग्राफी, परिवार से लेकर 12th फेल फिल्म का तक सर्च करते हैं।
ऐसे में कई लोग निश्चित रूप से इनके जीवन और डेली रूटीन को लेकर भी बहुत कुछ जानना चाहते हैं।
हालांकि, डॉ. विकास दिव्यकीर्ति(Vikas sir) ने इस मुद्दे पर भी अपने प्रशंसकों को निराश नहीं किया है।
Vikas sir की दिनचर्या:
एक वीडियो में विकास दिव्यकीर्ति बताते हैं कि वह बिल्कुल आराम से सुबह 9 से 10.00 बजे के बीच उठते हैं।
वे बताते हैं कि क्लास को लेकर कोई जरूरी मीटिंग हो तो 9 बजे या मीटिंग नहीं हो तो 10 बजे तक उठता हूं।
इससे पहले बहुत जरूरी नहीं होने पर ही वे उठते हैं।
इसके बाद सुबह 11 बजे परिवार के साथ जिसमें पिताजी भी होते हैं, नाश्ता करते हैं।
नाश्ते के बाद परिवारवाले एक से आधे घंटे तक गप्प मारते हैं।
ग्रेजुएट स्कूल ऑफ एजुकेशन के हार्वर्ड मनोवैज्ञानिक रिचर्ड वीसबर्ड ने कुछ ऐसे तरीके बताए हैं,
जिनकी मदद से आप अपने बच्चे को एक अच्छा इंसान बनाने के साथ-साथ उसे दयालु और दूसरों के साथ सहानुभूति रखने वाला भी बना सकते हैं।
पैरेंट्स को दूसरों से पहले अपने बच्चों की खुशी पर ध्यान देना चाहिए,
पैरेंट्स द्वारा बच्चों को सिखाना:
लेकिन बच्चों को सिखाना चाहिए कि उन्हें अपनी और दूसरों की जरूरतों के बीच में संतुलन बनाकर चलना है।
जैसे कि अगर उसके किसी दोस्त को बुली किया जा रहा है, तो बच्चे को उसकी मदद के लिए आगे आना चाहिए।
अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा एक ऐसा इंसान बने जिसे दूसरों की परवाह हो,
और जिसके दिल में दूसरों के लिए प्यार और दया की भावना हो,
तो आप बच्चे को यह चीजें सीखने में मदद करें।
इसके लिए आप बच्चे के सामने ऐसे अवसर पैदा करें, जहां उसे दूसरों की केयर करने की जरूरत हो।
हम खुद अपनी और अपनों की केयर और परवाह करते हैं,
और बच्चे को भी यही सिखाते हैं कि उसे अपने परिवार और दोस्तों की केयर करनी है,
लेकिन आपको बच्चे का यह दायरा बढ़ाना चाहिए।
उसे गरीबों और जरूरतमंद लोगों की मदद करना सिखाएं। उसे बताएं कि उनकी मदद करना कितना जरूरी है।
बच्चे को बताएं कि गुस्सा करना या शर्मिंदा महसूस करना सामान्य बात है लेकिन उनके साथ किस तरह से डील करना है, यह अहम है।
आप बच्चे को अपनी भावनाओं को समझने में मदद करें।
बच्चों के लिए उनके सबसे पहले टीचर और रोल मॉडल उनके पैरेंट्स ही होते हैं,
इसलिए आप अपने बच्चे के सामने अपना बेस्ट देने की कोशिश करें।
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति(Vikas sir) और दृष्टि परिवार:
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति(Vikas Divyakirti) ,बताते हैं कि वे दोपहर 12 बजे के बाद ही ऑफिस जाते हैं।
वे बताते हैं कि उनकी जरूरी मीटिंग दोपहर 1 बजे के बाद ही होती है।
उनका कहना है कि वे दोपहर में 1 बजे से 2 बजे तक जरूरी मीटिंग पूरी करते हैं।
इसके बाद कोई खास काम नहीं होता है।
डॉ. दिव्यकीर्ति(Vikas sir)के शब्दों में इसके बाद कोई खास काम तो होता नहीं हो मैनेजमेंट के सीनियर लोगों में से किसी को बुला लेता हूं।
उनके साथ क्या कुछ चल रहा है, किसी को कोई दिक्कत तो नहीं है, इसपर चर्चा करता हूं।
शाम को सभी सीनियर मोस्ट लोगों को बुलाकर कॉफी पर चर्चा कर लेता हूं।
इसके बाद घर के लिए निकल जाता हूं। इस तरह काम चल जाता है।
शाम को घर जाने के बाद डॉ. दिव्यकीर्ति एक घंटा सैर जरूर करते हैं।
वो सैर करने का समय रात 11 से 12 बजे या 12 से 1 बजे के बीच होता है।
उस समय सोसायटी के अंदर सैर करते समय सड़क पर अधिक लोग नहीं मिलते हैं।
ये सैर गर्मियों के साथ ही सर्दियों में भी जारी रहती है।
उस समय उनके साथ संस्था के सीनियर मोस्ट डिप्टी सीईओ साथ होते हैं।
उस आधे एक घंटे के दौरान दिनभर की घटनाओं का ब्रीफ लेते हैं।
पैरेंट्स द्वारा बच्चों की परवरिश:
विकास जी के अनुसार मां-बाप को अपने बच्चे की तारीफ करने में थोड़ा नापतोल रखना चाहिए। जब आपका बच्चा कोई अच्छा काम करता है,
तो आपको न तो उसकी बहुत ज्यादा तारीफ करनी है और न ही उसका दमन करना है।
इसका मतलब है कि आपको अपने बच्चे की अधिक तारीफ करनी है और न ही उसके अच्छे कामों को इग्नोर करना है।
इन दोनों ही स्थितियों में बच्चा आगे चलकर नारसिस्टिक बन सकता है।
कई मां-बाप अपने बच्चे के ऊपर बहुत ज्यादा प्रेशर बनाकर रखते हैं।
उदाहरण के तौर पर बच्चा स्कूल से आया और पैरेंट ने उससे पूछा कि एग्जाम में कितने नंबर आए हैं।
इस पर बच्चे ने जवाब दिया 99 अंक। तब मां-बाप उससे कहते हैं कि एक नंबर कहां गया।
तुम्हें स्कूल इसलिए भेजा था कि तुम 100 में से 99 नंबर लेकर आओ।
आपने देखा होगा कि आप जब किसी के घर पर मेहमान बनकर जाते हैं,
तो आपके रिश्तेदार अपने बच्चे से सबके सामने कविता सुनाने, गाना सुनाने या डांस करने के लिए कहते हैं।
विकास जी कहते हैं कि इस समय बच्चे का मन करता है कि वो दुनिया को आग लगा दे।
इसका मतलब है कि आप अपने बच्चे को एक साधन या वस्तु समझ रहे हैं, जो कि गलत है।
इसके साथ ही कुछ ऐसे भी मां-बाप होते हैं जो अपने बच्चे की गलतियों को बढ़ावा देते हैं या उसे महिमामंडित करते हैं।
मां-बाप इस तरह अपने बच्चे को गलत रास्ते पर लेकर जा सकते हैं।
मां-बाप को अपने बच्चे को यही सिखाना चाहिए कि उसे अपने से बड़ों से और अपने पैरेंट्स से तमीज से बात करनी है,
और उन्हें गुस्सा नहीं दिखाना है।
आप बच्चे को दूसरों के सामने झुकना सिखाएं और उसे अपनी गलतियों पर शर्मिंदा होना सिखाएं।
बच्चों की परवरिश में खास बातों का ख्याल रखें:
आप अपने बच्चे की परवरिश में विकास दिव्यकीर्ति जी की इन बातों का खास ख्याल रखें,
ताकि आपका बच्चा बड़ा होकर मानसिक और भावनात्मक स्तर पर स्वस्थ महसूस करे।
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति(Vikas sir) का कहना है कि वो रात को सैर खत्म करने के बाद 12 बजे से सुबह तीन बजे तक पढ़ते हैं।
क्या पढ़ने के सवाल पर वे कहते हैं कि इस बारे में कुछ भी निश्चित नहीं होता है।
उन्हें यदि किसी विषय पर वीडियो बनाना है तो उसपर रिसर्च करते हैं।
कभी-कभी ऐसा होता है कि रिसर्च का कोई भी टॉपिक नहीं तो कोई भी किताब जो भी सामने होती है उसे पढ़ते हैं।
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति(Vikas sir) के स्टडी रूप में करीब 1500 किताबें हैं।
उनमें से जो भी लगता है कि यह पढ़ना ठीक रहेगा। उसे पढ़ते हैं। रात को तीन घंटे पढ़ने के बाद ही वह सोने जाते हैं।
उनका कहना है कि यदि वह रात को ना पढ़ें तो वे बेचैन हो जाते हैं।
विकास दिव्यकीर्ति के शब्दों में ‘इस तरह पढ़ाई, सैर और नाश्ते पर परिवार के साथ चर्चा ना हो तो लगता है कि मेरा जीवन अधूरा है।’