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वज्र मुष्टी कलगा(Vajra Mushti Kalaga) के बारे में:

“वज्र मुष्टी कलगा”(Vajra Mushti Kalaga)  पारंपरिक कुश्ती से अलग कुश्ती का एक रूप है।

इसमें दो जेटी एक दूसरे के सिर पर नक्कल डस्टर से वार करते हैं।

Vajra Mushti Kalaga

यह लड़ाई वास्तविकता में लड़ी जाती है। जेटी अपने प्रतिद्वंद्वी के सिर से खून निकालने की पूरी कोशिश करता है।

रेफरी खून की पहली बूंद देखकर कुश्ती रोक देता है।

जो जेटी अपने प्रतिद्वंद्वी के सिर से सबसे पहले खून निकालता है, उसे विजेता घोषित किया जाता है।

हालांकि, कुश्ती(Vajra Mushti Kalaga)  का यह रूप 14वीं से 17वीं शताब्दी के बीच विजयनगर शासकों के शासन के दौरान प्रचलित था।

लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे यह विलुप्त हो गया

Vajra Mushti Kalaga

 और अब इसका आयोजन केवल दशहरा के दौरान किया जाता है। 

नवरात्रि उत्सव के दौरान वज्र मुष्टी कलगा(Vajra Mushti Kalaga):

पुर्तगाल से आए मध्यकालीन यात्रियों ने विजयनगर साम्राज्य में नवरात्रि उत्सव के दौरान कुश्ती के इस रूप को देखा और अपने यात्रा वृतांतों में इसके संदर्भ का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। 

ऐतिहासिक रूप से मार्शल आर्ट का यह(Vajra Mushti Kalaga)  रूप बहुत लोकप्रिय था,

और इसका एक समृद्ध प्राचीन इतिहास है। लेकिन, समय के साथ इसमें गिरावट आ रही है और आधुनिक समय में यह प्रचलन से बाहर हो गया है।

विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ई. में हरिहर और बुक्का द्वारा की गई थी।

विजयनगर साम्राज्य:

Vajra Mushti Kalaga

इसकी राजधानी विजयनगर के नाम पर रखा गया था, जिसका अर्थ ‘विजय का शहर’ है।

इस शहर के खंडहर आधुनिक हम्पी में स्थित हैं।

साम्राज्य पर क्रमिक रूप से चार महत्वपूर्ण राजवंशों संगम वंश (1336-1485 ई), सालुव वंश (1485-1505),तुलुव वंश (1505-1570) और अरविदु वंश (1570-1649) का शासन था।

कृष्णदेवराय को विजयनगर साम्राज्य का महान सम्राट माना जाता है।

हिंदू साम्राज्य होने के बावजूद यह धार्मिक सहिष्णुता के लिए जाना जाता था।

इस साम्राज्य में तेलुगू, कन्नड़ और संस्कृत  साहित्य का विकास हुआ।

इस साम्राज्य की वास्तुकला में एक विशिष्ट शैली थी जिसे विजयनगर वास्तुकला शैली के नाम से जाना जाता है।

इसमें हम्पी के प्रतिष्ठित गोपुरम और स्तंभ प्रमुख हैं।

साम्राज्य की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित थी। लेकिन व्यापार भी महत्वपूर्ण था।

वे अरब जगत और पुर्तगाली व्यापारियों के साथ मसालों, वस्त्रों और खनिजों का व्यापार करते थे।

विजयनगर साम्राज्य में एक सुव्यवस्थित सैन्य संरचना थी, जिसमें पैदल सेना, तीरंदाज, घुड़सवार सेना और हाथी राज्य की सेना में थे।

1565 ई. में तालीकोटा की लड़ाई में विनाशकारी हार के बाद विजयनगर साम्राज्य का पतन शुरू हो गया।

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