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30 साल तक चले एक अमेरिकी अध्ययन में पाया गया है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स (ultra-processed foods) का सेवन कम उम्र में मौत का खतरा बढ़ा देता है।

यह खतरा विशेष रूप से रेडी टू ईट मांस, शर्करा युक्त पेय पदार्थ,

डेयरी डेजर्ट और प्रसंस्कृत ब्रेकफास्ट फूड्स जैसे खाद्य पदार्थों के सेवन से जुड़ा पाया गया है।

हालांकि, शोधकर्ताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि सभी UPFs पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं है।

पर हां, अध्ययन में लंबे समय तक स्वस्थ बने रहने के लिए कुछ प्रकार के UPFs का कम सेवन करने का समर्थन जरूर किया गया है।

शोधकर्ताओं ने समय आहार गुणवत्ता का आकलन करने के लिए “अल्टरनेटिव हेल्दी ईटिंग इंडेक्स 2010 (AHEI) स्कोर का उपयोग किया।

AHEI हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा विकसित सूचकांक है।

यह भविष्य में दीर्घस्थायी बीमारी का कारण बनने वाले खाद्य पदार्थों और पोषक तत्वों को रेटिंग प्रदान करता है।

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स(ultra-processed foods) के बारे में:

ultra-processed foods

UPFs, वास्तव में प्रसंस्करण की कई प्रक्रियाओं से गुजरे खाद्य उत्पादों की एक श्रेणी है।

ऐसे खाद्य पदार्थों में उच्च मात्रा में एडिटिव (जैसे परिरक्षण, कृत्रिम स्वाद, इमल्सीफायर आदि) मिलाये जाते हैं।

दरअसल, खाद्य पदार्थों को अधिक दिनों तक सेवन योग्य बनाने हेतु एडिटिव का उपयोग किया जाता है। 

इन खाद्य पदार्थों में उच्च मात्रा में फैट, शुगर और सॉल्ट (HFSS) मौजूद होते हैं,

जबकि विटामिन, प्रोटीन और फाइबर की मात्रा कम होती है। UPFs के उदाहरण हैं; स्नैक्स, सोडा आदि।

ऐसे खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन से हाई ब्लड प्रेशर, किडनी फेल होना, मोटापा, फैटी लीवर रोग, मेटाबोलिक सिंड्रोम, हृदय रोग जैसी कई बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में UPFs सेक्टर में 2011 और 2021 के बीच 13.4% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की गई थी।

इसमें आगे और वृद्धि दर्ज होने की आशंका है।

भारत में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स (UPFs) के सेवन पर अंकुश लगाने में चुनौतियां:

जीवनशैली और खान-पान में बदलाव देखा जा रहा है।

 उच्च मात्रा वाले फैट, शुगर और सॉल्ट (HFSS) युक्त खाद्य पदार्थों को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है।

साथ ही, कई मामलों में HFSS मानकों में UPFs को शामिल नहीं किया जाता है।

UPFs से जुड़े कानूनों एवं नियमों का विज्ञापन भी नहीं किया जाता है,

और इस बारे में जागरूकता की भी कमी है।

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स (UPFs) के सेवन पर अंकुश लगाने के लिए भारतीय पहलें:

हाल ही में, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पोषण संस्थान (ICMR-NIN) ने,

भारतीयों के लिए आहार संबंधी संशोधित दिशा- निर्देश (2024) जारी किए हैं।

भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने “ईट राइट इंडिया” अभियान शुरू किया है।

इसका उद्देश्य संरक्षित और पौष्टिक भोजन का सेवन सुनिश्चित करना है।

FSSAI के निर्देश के अनुसार खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैटी एसिड (TFA) कुल तेल और वसा की मात्रा का अधिकतम 2% होना चाहिए।

भारत में वातित पेय पदार्थों (Aerated beverages) पर 28% की दर से GST और अतिरिक्त 12% प्रतिपूर्ति उपकर लगाए गए हैं।

भारत में उच्च मात्रा वाले फैट थी।, शुगर और सॉल्ट (HFSS) युक्त खाद्य पदार्थों पर 12% की दर से GST लगाई गई है।

केरल ने 2016 में ‘फैट टैक्स’ लगाने की भी शुरुआत की

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