हाल ही में, पश्चिम बंगाल में कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन(Train Accident) को एक मालगाड़ी ने टक्कर मार दी, जिससे कई लोगों की मौत हो गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस दुर्घटना में सिग्रलिंग की त्रुटि के कारण पैसेंजर एक्सप्रेस और मालगाड़ी के बीच टक्कर हुई।
हालिया वर्षों में इस तरह की कई रेल दुर्घटनाएं घटित हुई हैं,
जैसे कि 2023 में बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस दुर्घटना, मालगाड़ी की टक्कर।
रेलवे दुर्घटनाओं(Train Accident) की स्थिति:
गंभीर ट्रेन दुर्घटनाओं की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। ऐसी दुर्घटनाओं की संख्या 2000-01 की 473 से घटकर 2022-23 में 48 रह गई है।
गंभीर ट्रेन दुर्घटनाएं वे हैं, जिनके गंभीर परिणाम सामने आते हैं,
जैसे कि बहुत अधिक संख्या में लोगों की मौत या घायल होना, रेलवे संपत्ति को नुकसान या रेल यातायात में बाधा।
रेल दुर्घटनाओं(Train Accident) के प्रमुख कारण:
रेलगाड़ी का पटरी से उतरनाः 2022 में पटरी से उतरने के कारण बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी।
मानव रहित रेल फाटकः यह पटरी से उतरने के कारण के बाद रेल दुर्घटनाओं का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।
अन्य कारणः
बिजली के तारों में शॉर्ट सर्किट से ट्रेनों में आग लगने की घटनाएं, लोको पायलट्स की गलतियां या सिग्नलिंग में त्रुटियां आदि।
रेल सुरक्षा के लिए किए गए उपाय:
स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली “कवच” का विकास किया गया है।
यह लोको पायलट को खतरे और ओवर स्पीड की स्थिति में सिग्नल की अनदेखी करने से बचाने में मदद करता है।
यदि लोको पायलट ब्रेक लगाने में विफल रहता है, तब कवच स्वचालित ब्रेक लगाकर रेलगाड़ी की गति को नियंत्रित करता है।
रेल सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण परिसंपत्तियों को बदलने या नवीनीकरण करने या अपग्रेड करने के लिए राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (RRSK) गठित किया गया है।
इलेक्ट्रिकल / इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम लगाया जा रहा है। यह कंप्यूटर आधारित प्रणाली है,
जो एक से अधिक ट्रेनों को एक ही ट्रैक पर चलने को नियंत्रित करती है।
रेल दुर्घटनाओं को रोकने में चुनौतियां:
रेलवे ट्रैक पर रेलगाड़ियों की संख्या काफी अधिक होती है।
कई रूट्स पर यात्री ट्रेन और मालगाड़ियों के लिए एक ही ट्रैक का इस्तेमाल किया जाता है।
तकनीकी गड़बड़ियां और सिस्टम संबंधी विफलताएं (जैसे- खराब सिग्नलिंग सिस्टम आदि) मुख्य चुनौती बनी हुई हैं।
अन्य चुनौतियांः
रेलवे आधुनिकीकरण के लिए पर्याप्त धन की कमी है।
पुराने कोचों की जगह लिंक हॉफमैन बुश / LHB कोच लगाने के लिए धन की कमी एक बड़ी समस्या है।
रेल सुरक्षा पर गठित समितियां:
न्यायमूर्ति खन्ना समिति या रेलवे सुरक्षा समीक्षा समिति, 1998:
इस समिति की सिफारिश पर एक रेलवे सुरक्षा विभाग गठित किया गया था।
इस विभाग में भारतीय रेलवे के सभी विभागों से अधिकारियों और कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है।
डॉ. अनिल काकोडकर की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा समिति, 2012:
इसने इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) द्वारा डिज़ाइन किए गए रेलवे कोच की जगह अधिक सुरक्षित LHB कोच लगाने की सिफारिश की थी
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