मृदा(soil)
मृदा (soil) धरती का वह भाग हैं जिसमें भिन्न-भिन्न तरह की वनस्पति उगती है।
मृदा भी विश्व में अलग-अलग तरह की पाई जाती है। लेकिन भारत में पाई जाने वाली मिट्टियां निम्न प्रकार की हैं-
जलोढ़ मृदा(Alluvial soil)
ऐसी मृदा(soil) भारत के उत्तरी मैदानों में और नदी घाटियों के विस्तृत भागों में पाई जाती हैं,
यह मृदा देश के कुल क्षेत्रफल के 40% भाग पर पाई जाती हैं यह मृदा है गुजरात के मैदानों में और पूर्वी तटीय एवं नदी डेल्टा में भी पाई जाती है,
इनमें पोटाश की मात्रा अधिक और फास्फोरस की कमी पाई जाती है जलोढ़ मृदा में गहन कृषि की जाती है।
काली मृदा(Black)
यह मृदा दक्कन पठार के अधिकतर भाग पर पाई जाती है,
यह मृदा महाराष्ट्र , गुजरात,आंध्र प्रदेश तमिलनाडु के कुछ भाग में शामिल है
इस मृदा को रेगर तथा कपास वाली काली मिट्टी भी कहा जाता है,
शुष्क ऋतु के कारण इन मृदा में चौड़ी दरारें पड़ जाती है जिस कारण यह खुद व खुद जुताई हुई दिखाई पड़ती है
इस मृदा में चुने लोहा मैग्नीशिया एलुमिना तत्व तथा पोटाश की मात्रा पाई जाती है एवं फास्फोरस नाइट्रोजन और जैव पदार्थों की कमी पाई जाती है।
लाल और पीली मृदाएं
(Red & yellow)
लाल मुर्दा का विकास दक्कन के पत्थर तथा पूर्वी दक्षिणी भाग के कम वर्षा वाले क्षेत्रों में हुआ है जहां आग्नेय चट्टाने पाई जाती हैं
यह मृदाएं उड़ीसा छत्तीसगढ़ और मध्य गंगा के मैदानों में पाई जाती है
इन मृदाओं में जलयोजित होने के कारण यह पीली दिखाई पड़ती है
इनमें नाइट्रोजन फास्फोरस और ह्यूमस की कमी पाई जाती है।
लेटराइट मृदा(laterite soil)
ऐसी मृदा का विकास अधिक तापमान एवं भारी वर्षा के क्षेत्रों में होता है
इनमें नाइट्रोजन फास्फेट और कैल्शियम की कमी पाई जाती है एवं लोह ऑक्साइड और पोटाश की अधिकता होती है
ये मृदाये कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उड़ीसा और असम के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है।
शुष्क मृदा (Arid soil)
इस मृदा का रंग लाल से लेकर किसमिसी तक होता है
इनमें और नमी की मात्रा कम पाई जाती है एवं नमक की मात्रा अधिक पाई जाती है
इनमें उपजाऊपन कम होता है
यह राजस्थान की पश्चिमी इलाकों में पाई जाती है
पीटमय मृदा (Peat)
यह मिट्टी भारी वर्षा और उच्च आद्रता वाले क्षेत्रों में पाई जाती है
इनमें मृत जैव पदार्थ बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं
जिस कारण से ह्यूमस की मात्रा अधिक पाई जाती है इनका ये गाढ़ा और काले रंग की होती है
यह मृदा बिहार पश्चिम बंगाल उड़ीसा तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में पाई जाती है।
वन मर्दाएं(Forest)
यह पर्याप्त वर्षा वाले वन क्षेत्र में पाई जाती हैं इन मृदाओं का निर्माण पर्वतीय पर्यावरण में होता है
यह अम्लीय और कम ह्यूमश वाली होती है
इनमें उपजाऊपन होता है जो प्रकृति फसलों, पौधों और वनस्पतियों के अंकुरण एवं वृद्धि के लिए अति महत्वपूर्ण हैं।
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