तमिलनाडु राज्य जहां भी नजर दोडाओ आस्था का प्रतीक है आस्था के बीच एक ऐसी सोच जो यहां के(Self respect marriage) नियम कानून पर सवाल उठाती है।
जो धर्म समाज लिंग जाति की लकीरों को लांगती ऐसी दो शख्सियत कविता और कृतिका।
जो एक समान समाज की कल्पना करती है इन दोनों को ऐसी शादी का विचार पसंद आया,
जिसमें ना कोई मंगलसूत्र ना रीति रिवाज ना धर्म से जुड़ा कोई ऐसा कर्मकांड।
जो शादी नक्षत्र, गोत्र और जाति की दशा पर निर्भर नहीं थी
इस शादी में दोनों सहमति लेते हैं की औरत को आदमी के बराबर का दर्जा मिलेगा अपने फैसले करने की आजादी होगी।
शादी: ना सिंदूर ना मंगलसूत्र ना पंडित
एक ऐसी शादी जिसमें ना पंडित न फेरे ना मंगलसूत्र और ना ही धार्मिक रीति रिवाज,
पूरे देश में तमिलनाडु ऐसा राज्य जहां सेल्फ रिस्पेक्ट मैरिज(Self respect marriage) होती है और,
इसे हिंदू मैरिज एक्ट में कानूनी मान्यता प्राप्त है।
कृतिका और कविता दोनों ने अपने-अपने पत्तियों से ऐसी शादियां की है।
पूरे गांव में कविता इकलौती ऐसी लड़की है जिन्होंने पति द्वारा 6 साल शादी के होने पर उन दोनों की सहमति पर उन्होंने मंगलसूत्र को मनुस्मृति के साथ जला दिया।
उनके पति का मानना है कि औरत के गले में मंगलसूत्र एक पट्टे की तरह है जो समाज के रीति-रिवाजों से बंधता है और,
औरत को अपने फैसले नहीं लेने देता और ना ही बराबरी का दर्जा देता।
गुणासेकरन-कविता
ऐसे ही शादी कृतिका और मुथु द्वारा की गई इन दोनों की जातियां अलग-अलग थी
इन सब ने यह शादी प्रकृति को साक्षी मानकर की।
कृतिका-मुथु
इस शादी के जनक तमिल नेता पेरियार थे।newsworldeee.com/vedic-clock/entertainment/
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