लिक्विड रॉकेट इंजन(SCE-200 Rocket engine) प्रणालियों के विकास में इग्निशन प्रक्रिया महत्वपूर्ण भाग है।
• सेमी-क्रायोजेनिक इंजन की हालिया इग्निशन प्रक्रिया स्टार्ट फ्यूल एम्प्यूल का उपयोग करके पूरी की गई है।
स्टार्ट फ्यूल एम्प्यूल ट्राइएथिल एल्युमनाइड और ट्राइएथिल बोरोन का उपयोग करता है,
जिनका विकास विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) ने किया है।
सेमी-क्रायोजेनिक इंजन(SCE-200 Rocket engine) के बारे में:
• SCE में ऑक्सिडाइजर के रूप में लिक्विड ऑक्सीजन (LOX) और ईंधन के रूप में रिफाइंड केरोसिन का उपयोग किया जाता है।
• इसरो एक शक्तिशाली SCE विकसित कर रहा है। यह 2,000 किलोन्यूटन (kN) का भ्रस्ट उत्पन्न करता है।
इस SCE का उद्देश्य लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM3) और भविष्य के प्रक्षेपण यानों की पेलोड क्षमता को बढ़ाना है।
• बेंगलुरु स्थित लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर SCE के विकास के लिए इसरो का प्रमुख केंद्र है।
ये इंजन पारंपरिक क्रायोजेनिक इंजनों की तुलना में अधिक लाभ प्रदान करते हैं।
क्रायोजेनिक इंजन में ऑक्सिडाइजर के रूप में लिक्विड ऑक्सीजन और ईंधन के रूप में लिक्विड हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता है।
इन दोनों को बहुत कम तापमान पर बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
यह इंजन आमतौर पर रॉकेट का अंतिम चरण होता है।
SCE के लाभ:
• भंडारण और हैंडलिंग करने में आसानीः रिफाइंड केरोसिन हल्का होता है।
इसके लिए कम आयतन की आवश्यकता होती है। साथ ही, इसे सामान्य तापमान पर भी भंडारित किया जा सकता है।
• अधिक थ्रस्ट उत्पन्न करते हैं: SCE अधिक शक्तिशाली होते हैं। इस कारण ये भारी वजन वाले उपग्रहों को अधिक ऊंची कक्षाओं में स्थापित कर सकते हैं।
• अन्य लाभः क्रायोजेनिक इंजन की तुलना में ये अधिक पर्यावरण-अनुकूल एवं किफायती हैं।