संथाल विद्रोह(Santhal rebellion) की 169वीं वर्षगांठ मनाई गई। संथाल विद्रोह के शहीदों की स्मृति में हर साल 30 जून को हूल दिवस मनाया जाता है।
संथाल विद्रोह(Santhal rebellion) (1855-1856) के बारे में:
इस विद्रोह के नेता ये सिद्धो, कान्हो, चांद और भैरव तथा साथ में फूलो और झानो नामक दो बहनें।
विद्रोह का स्थानः
राजमहल की पहाड़ियां (वर्तमान झारखंड)।
कारणः
ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारियों और स्थानीय साहूकारों द्वारा संथालों का शोषण एवं उत्पीड़न ।
कार्ल मार्क्स ने अपनी पुस्तक “नोट्स ऑन इंडियन हिस्ट्री” में संथाल विद्रोह को “भारत की पहली संगठित जन क्रांति” बताया था।
इस विद्रोह के दमन के बाद अंग्रेजों ने संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम, 1876 बनाया था। इस कानून के तहत-
‘संथाल परगना’ नामक प्रशासनिक क्षेत्र बनाया गया था;
संथाल आदिवासियों की भूमि को गैर-संथाल लोगों को बेचना गैर-कानूनी बना दिया गया था।
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