यह सम्मेलन परमाणु ऊर्जा(Nuclear Energy) को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) और बेल्जियम द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।
• यह वैश्विक स्टॉकटेक में परमाणु ऊर्जा(Nuclear Energy) को शामिल करने के ऐतिहासिक निर्णय के मद्देनजर आयोजित किया गया था।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP-28), 2023 में वैश्विक स्टॉकटेक पर सहमति बनी थी।
• वैश्विक स्टॉकटेक में परमाणु ऊर्जा(Nuclear Energy) को शामिल करने का अर्थ है इसके व्यावहारिक उपयोग में तेजी लाना।
• वर्तमान में, वैश्विक स्तर पर कम कार्बन उत्सर्जन आधारित बिजली उत्पादन में परमाणु ऊर्जा का योगदान लगभग 25% है।
• परमाणु ऊर्जा सम्मेलन में भारत और यूरोपीय संघ सहित 30 से अधिक देशों ने भाग लिया।
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बारे में:
• उत्पत्ति: इसकी स्थापना 1957 में संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के तहत एक स्वायत्त अंतर्राष्ट्रीय संगठन के रूप में की गई थी।
• उद्देश्य: इसका उद्देश्य परमाणु प्रौद्योगिकियों के सुरक्षित, संरक्षित और शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना है।
साथ ही, इसका उद्देश्य इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अपने सदस्यों और दुनिया भर के कई भागीदारों के साथ मिलकर काम करना है।
• सुरक्षा तंत्र: IAEA परमाणु हथियारों के प्रसार के खिलाफ वैश्विक परमाणु अप्रसार संधि (NPT) और अन्य संधियों के तहत परमाणु हथियारों का निरीक्षण करता है।
IAEA ने एक अतिरिक्त प्रोटोकॉल ढांचा भी विकसित किया है।
इस तंत्र की मदद से, IAEA देशों में मौजूद सभी परमाणु सामग्रियों का शांतिपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करता है।
>भारत भी इस प्रोटोकॉल का हिस्सा है।
• सदस्य: इसमें भारत सहित कुल 178 सदस्य शामिल हैं।
• प्रमुख पहल: Atoms4NetZero पहल शुरू की गई है।
• मुख्यालय: इसका मुख्यालय वियना (ऑस्ट्रिया) में स्थित है।
(Nuclear Energy) परमाणु ऊर्जा की प्रासंगिकता और चुनौतियाँ:
• यह बिजली का एक स्वच्छ स्रोत है, जो न्यूनतम कार्बन फुटप्रिंट उत्पन्न करता है।
• छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) के रूप में नई तकनीकी प्रगति इसे और अधिक व्यवहार्य बना देगी।
• एसएमआर उन्नत परमाणु रिएक्टर हैं। उनकी बिजली उत्पादन क्षमता 300 मेगावाट (ई) प्रति यूनिट तक है।
• परमाणु ऊर्जा(Nuclear Energy) लंबे समय तक उपलब्ध रहती है।
• चुनौतियाँ: फुकुशिमा परमाणु आपदा के बाद सुरक्षा संबंधी चिंताएँ; साइबर हमलों के प्रति भेद्यता, परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण की उच्च प्रारंभिक लागत, रिएक्टर स्थापना और बिजली उत्पादन शुरू होने में अत्यधिक देरी, आदि।