नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission ) के तहत हरित हाइड्रोजन हब उप-घटक के लिए योजना दिशानिर्देश जारी किए।
• हरित हाइड्रोजन का उत्पादन नवीकरणीय स्रोत द्वारा उत्पादित विद्युत धारा का उपयोग करके पानी के इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से किया जाता है।
इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को पानी से अलग किया जाता है। इसके बाद इस अलग किए गए हाइड्रोजन को संग्रहीत किया जाता है।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission ) के बारे में:
• योजना की अवधि: यह योजना वित्तीय वर्ष 2023-24 से वित्तीय वर्ष 2029-30 तक लागू की जाएगी।
• योजना के उद्देश्य: इसका उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन और इसके सह-उत्पादों के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना है।
मिशन के उप-घटक:
• हरित हाइड्रोजन संक्रमण (SIGHT) कार्यक्रम के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप,
• हरित हाइड्रोजन हब,
• अनुसंधान और विकास कार्यक्रम,
•कौशल विकास और अन्य।
National Green Hydrogen Mission के विभिन्न उप-घटकों के बारे में:
• ग्रीन हाइड्रोजन हब: इसके तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 तक कम से कम दो ग्रीन हाइड्रोजन हब स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें हब में केंद्रीय बुनियादी ढांचे का विकास भी शामिल है।
• हाइड्रोजन हब परिभाषित भौगोलिक क्षेत्र हैं। इसमें हाइड्रोजन उत्पादकों और उपभोक्ताओं (अंतिम उपयोग) का एक नेटवर्क और भंडारण, प्रसंस्करण और परिवहन के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा शामिल है।
• स्किलिंग, अप-स्किलिंग और री-स्किलिंग: इसमें अल्पकालिक प्रशिक्षण (एसटीटी), पहले से प्राप्त सीखने की मान्यता शामिल है।
SIGHT कार्यक्रम-
SIGHT घटक-I: इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण के लिए प्रोत्साहन योजना – इसमें इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण के लिए प्रोत्साहन शामिल हैं।
> इसे भारतीय सौर ऊर्जा निगम के माध्यम से नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
• SIGHT घटक-II: यह हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन से संबंधित है।
• अनुसंधान एवं विकास योजना: इसके अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2025-26 तक हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण, संपीड़न, परिवहन, उपयोग आदि के लिए अनुसंधान एवं विकास सहायता प्रदान करना शामिल है।
मुख्य योजना दिशा-निर्देश:
• योजना दिशा-निर्देशों के अंतर्गत, हाइड्रोजन के बड़े पैमाने पर उत्पादन और उपयोग का समर्थन करने में सक्षम क्षेत्रों की पहचान की जाएगी और उन्हें हरित हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित किया जाएगा।
• इन हब के अंतर्गत हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं का विकास करना आदि।