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फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने ब्रेन कैंसर के खिलाफ नई mRNA vaccines विकसित की है।

हाल ही में, मानव पर इसका पहला क्लिनिकल परीक्षण किया गया है।

अपने इस परीक्षण में mRNA वैक्सीन ने मानव शरीर में ग्लियोब्लास्टोमा नामक ब्रेन ट्यूमर के खिलाफ मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित की थी।

ग्लियोब्लास्टोमा घातक ब्रेन ट्यूमर है।

• गौरतलब है कि ब्रेन ट्यूमर का उपचार चुनौतीपूर्ण है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस पर कीमोथेरेपी अधिक प्रभावी साबित नहीं हुई है।

इसके अलावा, रेडियोथेरेपी और सर्जरी की वजह से अधिक साइड इफेक्ट्स होने का खतरा बना रहता है।

mRNA vaccines के बारे में:

mRNA vaccines

• mRNA यानी मैसेंजर राइबोन्यूक्लिक एसिड एक आनुवंशिक मॉलिक्यूल (अणु) है। इसमें ऐसे निर्देश या संकेत होते हैं,

जो कोशिकाओं को अपने प्राकृतिक तंत्र का उपयोग करके किसी बाह्य रोगाणु द्वारा शरीर में प्रवेश करने पर उसे नष्ट करने हेतु प्रोटीन बनाने के लिए निर्देशित करते हैं।

• यह वैक्सीन प्रोटीन उत्पादन को सक्रिय करने के लिए लिपिड नैनोकणों में संग्रहित आनुवंशिक सामग्री को शरीर में पहुंचाती है।

इनसे शरीर को ऐसे प्रोटीन उत्पन्न करने के लिए संकेत प्राप्त होता है, जो एंटीजन नामक रोगजनकों के समान होते हैं।

• शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इन बाहरी एंटीजन को शरीर के दुश्मन के रूप में देखती है तथा उन्हें नष्ट करने के लिए एंटीबॉडी और T-कोशिका नामक रक्षा प्रणाली को सक्रिय करती है।

साथ ही, यह भविष्य में रोगाणुओं को नष्ट करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्षम भी बना देती है।

अन्य प्रकार की वैक्सीन प्रौद्योगिकियां:

• लाइव एटेन्युएटेड वैक्सीनः

इसमें दुर्बल जीवित बैक्टीरिया या वायरस का उपयोग करके वैक्सीन तैयार की जाती है।

इसके उदाहरण हैं- मीजल्स, मम्प्स और रूबेला (MMR) टीका।

• इनएक्टिवेटेड वैक्सीनः

इसमें बीमारी फैलाने वाले जीवित रोगजनकों को निष्क्रिय करके वैक्सीन बनाई जाती है।

ये निष्क्रिय होते हैं, इसलिए ये शरीर में बीमारी पैदा किए बिना प्रतिरक्षा उत्पन्न करते हैं।

इसके उदाहरण हैं: पोलियो के टीके।

• वायरल वेक्टर वैक्सीनः

ये वैक्सीन संक्रमित कोशिकाओं तक आनुवंशिक कोड पहुंचाने के लिए एक हानिरहित वायरस का उपयोग करती हैं।

ये अन्य टीकों से इस रूप में भिन्न हैं कि इनमें रोगजनक एंटीजन नहीं होते हैं,

बल्कि बड़ी संख्या में उन्हें उत्पन्न करने के लिए शरीर की कोशिकाओं का उपयोग किया जाता है।

फिर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इन्हें नष्ट कर देती है। इसके उदाहरण हैं- इबोला वैक्सीन।

• सबयूनिट वैक्सीनः

ये संपूर्ण जीवित रोगजनकों की बजाय, उनके अंश से बने होते हैं। इन्हें मूल रोगजनकों से या अलग-अलग रोगजनकों के अंशों को संयोजित करके बनाया जाता है।

इसके उदाहरण हैं- न्यूमोकोकल टीके।

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