माइक्रोसॉफ्ट(Microsoft-CrowdStrike) विंडोज सिस्टम के लिए फाल्कन सेंसर कॉन्फ़िगरेशन अपडेट के दौरान लॉजिक एरर के कारण आउटेज हुआ था।
इस आउटेज की वजह से सिस्टम क्रैश हो गया और “ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ” (BSOD) की स्थिति उत्पन्न हो गई।
इसने स्वास्थ्य सेवा और बैंकिंग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रकों की कार्य-प्रणाली को प्रभावित कर दिया था।
ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ यानी BSOD, विंडोज आधारित पर्सनल कंप्यूटर पर एक क्रिटिकल एरर स्क्रीन है।
इसमें कंप्यूटर कार्य करना बंद कर देता है और ब्लू स्क्रीन पर एरर का मैसेज दिखता है।
RBI के एक आकलन के अनुसार भारत में 10 बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को इस वैश्विक आउटेज के कारण मामूली व्यवधान का सामना करना पड़ा था।
महत्वपूर्ण सेवाओं पर IT (Microsoft CrowdStrike)आउटेज का प्रभाव:
आर्थिक व्यवधानः
वित्तीय बाजारों में लेन-देन में रुकावट आती है, क्लाउड सर्विसेज पर निर्भर व्यवसायों को थोड़ी देर के लिए बंद करना पड़ता है, आदि।
उदाहरण के लिए, 2021 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में बड़े आउटेज के कारण लगभग 4 घंटे तक कारोबार रुका रहा था।
स्वास्थ्य देखभाल सेवा पर प्रभावः
टेलीमेडिसिन सेवाओं में व्यवधान आता है; डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड से डेटा प्राप्त करने में परेशानी आती है, आदि।
उदाहरण के लिए, 2017 में यूनाइटेड किंगडम के अस्पतालों में सिस्टम्स पर वानाक्राई रैनसमवेयर साइबर अटैक के कारण लगभग 19000 अपॉइंटमेंट्स रद्द कर दी गई थीं।
सरकार के कामकाज और सुरक्षा व्यवस्था पर प्रभावः
उदाहरण के लिए, NPCIL द्वारा संचालित कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र में 2020 में साइबर हमले के वजह से उसकी सुरक्षा प्रभावित हुई थी।
अन्य क्षेत्रकों पर प्रभावः
संचार नेटवर्क प्रभावित होता है; स्मार्ट ग्रिड में व्यवधान उत्पन्न होने से बिजली आपूर्ति प्रभावित होती है, आदि।
भारत में डिजिटल अवसंरचना के समक्ष खतरें:
आयात पर अधिक निर्भर होनाः भारत IT हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के लिए आयात पर अत्यधिक निर्भर है।
किन्हीं वजहों से इनके आयात में व्यवधान आने पर इनकी आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है।
अधिक डिजिटल फुटप्रिंट लेकिन कम डिजिटल साक्षरताः
केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड (CBWE) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में बड़ी संख्या में लोग डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से जुड़े हुए हैं।
हालांकि, भारत में केवल 38% परिवार डिजिटल रूप से साक्षर हैं।
इसका अर्थ है कि वे ऑनलाइन धोखाधड़ी से अनजान होने कारण इसके शिकार हो सकते हैं।
डेटा कहीं अन्य सुरक्षित रखने की व्यवस्था नहीं होनाः
डेटा के बैकअप की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने और एक ही सिस्टम में सभी डेटा स्टोर करने से खतरा बढ़ जाता है।
सिस्टम फेलियर की स्थिति में उस डेटा को प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है।
अन्य प्रभावः
कई देशों की सरकारें दुश्मन देशों के IT सिस्टम पर साइबर हमले करवाती हैं, मजबूत साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल की कमी है, आदि।
डिजिटल अवसंरचनाओं की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम:
संस्थागत उपायः
राष्ट्रीय महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (NCIIPC), रक्षा साइबर एजेंसी (DCA), CERT-In जैसी संस्थाओं की स्थापना की गई है।
कानूनी उपायः
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (2023) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 लागू किए गए हैं।
नीतिगत उपायः राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति (2013) जारी की गई है, आदि।
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