मिजोरम के फौंगपुई राष्ट्रीय उद्यान में एक दुर्लभ अर्ध-परजीवी स्थलीय पौधा (फेथिरोस्पर्मम लुशाइओरम / Phtheirospermum lushaiorum/Lushai Tribe) पाया गया है।
लुशाइओरम का नाम मिजोरम की “लुशाई” जनजाति के नाम पर रखा गया है।
लुशाई जनजाति(Lushai Tribe) के बारे में:
यह कुकी-चिन जनजाति समूह के अंतर्गत आने वाली एक जनजाति है।
इन्हें आमतौर पर मिज़ो के रूप में जाना जाता है और नस्लीय रूप से इन्हें मंगोलॉयड मूल के अंतर्गत माना जाता है।
इनका मुख्य व्यवसाय झुम और संतरे की खेती है।
लुशाई को हेड हंटर समुदाय के नाम से जाना जाता है।
बांस नृत्य (चेरौ-नृत्य/Cheraw dance/ bamboo dance) इनका लोकप्रिय नृत्य है।
लुशाई मिज़ो की तिब्बती-बर्मन भाषा बोलते हैं, जो मिज़ोरम की आधिकारिक भाषा और सामान्य भाषा है।
2011 तक, त्रिपुरा में 5,384 लुशाई थे, जिनमें से अधिकांश जम्पुई हिल पर रहते थे, जो उनकी मातृभूमि है।
लुशाई या मिज़ो समाज पितृवेशीय (और संयुक्त परिवार) होता है जिसमें पितृवंशीय उत्तराधिकार और विरासत के नियम विद्यमान हैं।