बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीश गोवा में ‘लिविंग विल'(Living Will) को मंजूरी देने वाले पहले न्यायाधीश बन गए हैं।
इस प्रकार गोवा देश का पहला राज्य बन गया है, जहां लिविंग विल को लागू किया गया है।
लिविंग विल (Living Will / Advance Healthcare Directive) के बारे में:
यह एक कानूनी दस्तावेज है। यदि कोई व्यक्ति देखभाल की आवश्यकता होने पर निर्णय लेने में असमर्थ रहता है या,
अपनी इच्छाओं को व्यक्त करने में अक्षम होता है,
तो वह किस प्रकार की और किस स्तर की चिकित्सकीय देखभाल चाहता है,
उसका विवरण इस दस्तावेज में वर्णित होता है।
इसे स्वेच्छा से कार्यान्वित किया जाता है।
कॉमन कॉज बनाम भारत संघ (2018) वादः
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया था कि यदि कोई व्यक्ति चिरस्थायी जड़ता (Persistent vegetative state) से ग्रसित है,
तो वह व्यक्ति निष्क्रिय इच्छामृत्यु यानी पैसिव यूथेनेसिया (लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाना, मेडिकल ट्रीटमेंट रोकना आदि) का विकल्प चुन सकता है।
कोई व्यक्ति लाइलाज बीमारी की स्थिति में चिकित्सा उपचार से इंकार करने के लिए लिविंग विल का सहारा ले सकता है।