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AMFI-CRISIL की रिपोर्ट के अनुसार 98% शहरी महिलाएं घरेलू वित्तीय निर्णयों(LFPR) में शामिल रहती हैं

• AMFI-CRISIL ने ‘म्यूचुअल ग्रोथ’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है।

इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में महिलाओं की श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) और वित्तीय निर्णय लेने में भागीदारी बढ़ रही है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर(LFPR):

• महिला LFPR पांच वर्ष पहले 24.5% थी। यह अक्टूबर 2023 में जारी आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के आंकड़ों के अनुसार बढ़कर 37.5% हो गई है।

• 47% महिलाएं स्वयं वित्तीय निर्णय लेती हैं।

• वित्तीय निर्णय लेने में महिलाओं की स्वायत्तता उनके आय के स्रोत, आयु और समृद्धि की अवस्था पर निर्भर करती है।

वित्तीय निर्णय लेने में महिलाओं की बढ़ती भूमिका का महत्त्व:

• सामाजिकः

इससे लैंगिक असमानताओं, घरेलू हिंसा और संघर्ष में कमी आती है, जिससे महिलाओं का समग्र सशक्तीकरण सुनिश्चित होता है।

बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल आदि के लिए आवंटित संसाधनों में आनुपातिक वृद्धि होने से अगली पीढ़ी का बेहतर भविष्य सुनिश्चित होता है।

• आर्थिकः

वित्तीय साक्षरता और समावेशन के परिणामस्वरूप परिवारों एवं

समुदायों के लिए बेहतर वित्तीय योजना निर्माण व धन प्रबंधन संभव होता है

वित्तीय मध्यस्थता और बाजार विस्तार में वृद्धि होती है।

उद्यमिता और नवाचार को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए महिलाओं की प्रतिभा एवं कौशल का उपयोग किया जा सकता है।

महिलाओं की वित्तीय स्वायत्तता के समक्ष मौजूद चुनौतियां(LFPR):

• सामाजिक-सांस्कृतिकः

पितृसत्तात्मक व्यवस्था, लैंगिक रूढ़ियां आदि समाज में गहरी जड़ें जमा चुकी हैं।

ये महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता को सीमित करती हैं।

• आर्थिक असमानताएं:

महिलाओं की औपचारिक कार्यबल में कम भागीदारी है। वेतन में लैंगिक आधार पर अंतर मौजूद है।

विश्व असमानता रिपोर्ट, 2023 के अनुसार कुल श्रम बल की आय में महिला श्रम बल आय की हिस्सेदारी मान 18% थी।

• कार्य का ‘दोहरा बोझ’ (ऑफिस और घरेलू कार्य),

• महिलाएं घरेलू व देखभाल संबंधी जो कार्य करती हैं, वे अवैतनिक होते हैं और

इन कार्यों को अधिक महत्त्व नहीं दिया जाता है।

महिलाओं की वित्तीय स्वायत्तता के लिए उठाए गए कदम:

वित्तीय समावेशनः

पीएम जन धन योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, बिजनेस कॉरस्पोंडेंट (BC) सखी कार्यक्रम आदि शुरू किए गए हैं।

• स्वयं सहायता समूह (SHGs):

ऋण संबंधी सामूहिक निर्णय लेने और महिलाओं के बीच सूक्ष्म वित्त को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड द्वारा SHGs को बढ़ावा दिया जा रहा है।

• उद्यम हेतु सहायताः

इसमें स्टैंड-अप इंडिया योजना, मुद्रा योजना जैसी योजनाएं शामिल हैं।

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