Thu. Jan 9th, 2025

पूर्वोत्तर भारत में चक्रवाती तूफान(Cyclone Remal) के प्रभाव के चलते मूसलाधार बारिश और भूस्खलन(Landslides) की घटनाएं घटित होती रहती हैं।

इन घटनाओं ने कई तरह के जोखिम वाली आपदाओं से निपटने की क्षमता को मजबूत करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

भूस्खलन (Landslides) के बारे में:

 भूस्खलन एक प्रकार की प्रक्रिया है, जिसके परिणामस्वरूप चट्टान, मिट्टी, मलबा सहित ढलान बनाने वाली सामग्रियां नीचे और बाहर की ओर संचलन करती हैं.भूस्खलन के लिए जिम्मेदार प्राथमिक कारक गुरुत्वाकर्षण होता है।

यह ढलान के उस हिस्से पर कार्य करता है, जो संतुलन से बाहर होता है।

 भूस्खलन को आम तौर पर संचलन के प्रकार (स्लाइड, फ्लो, स्प्रेड, टॉपल या फॉल) और संचलन सामग्री के प्रकार (शैल, मलबा या मिट्टी) के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।

भूस्खलन(Landslides) के लिए जिम्मेदार कारण:

 प्राकृतिक कारणः

मूसलाधार बारिश, बर्फ का पिघलना, जल स्तर में परिवर्तन, जलधारा जनित कटाव, भूकंप, ज्वालामुखी गतिविधि आदि।

 मानव जनित गतिविधियांः

कृषि, निर्माण कार्य, वनों की कटाई, सिंचाई, खनन क्रिया, पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक पर्यटन, संवेदनशील क्षेत्रों का अतिक्रमण आदि।

भारत में भूस्खलन(Landslides) संभावित क्षेत्र:

Landslides

 भारत में जितनी भी भू-स्खलन घटनाएं घटित होती हैं, उनमें से 66.5% उत्तर-पश्चिमी हिमालय में घटित होती हैं।

इसके बाद पूर्वोत्तर हिमालय (18.8%) और पश्चिमी घाट (14.7%) का स्थान आता है।

 पश्चिमी घाटः पठार के किनारों पर सतह पर प्रकट हुई लैटेराइट मिट्टी, दरारों में पादपों की जड़ों में वृद्धि आदि इस क्षेत्र में भूस्खलन के कुछ महत्वपूर्ण कारण हैं।

भूस्खलन की घटनाओं को रोकने के लिए शुरू की गई पहलें:

 राष्ट्रीय भूस्खलन जोखिम प्रबंधन रणनीति (2019):

इसमें खतरे वाले क्षेत्र की मैपिंग, निगरानी और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की स्थापना आदि शामिल हैं।

 राष्ट्रीय भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्रण (NLSM) कार्यक्रमः इसे देश में भूस्खलन संभावित क्षेत्रों के लिए शुरू किया गया है।

 भूस्खलन जोखिम शमन योजना (LRMS):

इसके अंतर्गत साइट विशिष्ट भूस्खलन शमन परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

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