हाल ही में कोंडा रेड्डी जनजाति(Konda Reddy Tribe) महंगे पारंपरिक विवाह करने की बजाय लिव-इन रिलेशनशिप को प्राथमिकता देने के कारण चर्चा में है।
क्या है लिव-इन रिलेशनशिप:
लिव-इन रिलेशनशिप में कपल शादी के बिना एक साथ रहते हैं। इसकी कुछ सकारात्मक और कुछ नकारात्मक पक्ष हैं।
सकारात्मक पक्ष में यह है कि यह कपल को एक साथ रहने का मौका देता है और उनके रिश्ते को मजबूत बनाने में मदद करता है।
इससे दोनों एक-दूसरे को बेहतर समझ पाते हैं और अगर कोई समस्या आती है तो उसे सही तरीके से सुलझा पाते हैं।
नकारात्मक पक्ष में यह है कि इसमें कानूनी संरक्षण नहीं होता और अगर कोई समस्या आती है तो बच्चों या संपत्ति को लेकर विवाद हो सकता है। साथ ही कुछ समाज इसे अस्वीकार्य मानते हैं।
इसलिए लिव-इन रिलेशनशिप एक जटिल मुद्दा है और इसका फैसला कपल को ही लेना होता है।
कोंडा रेड्डी जनजाति(Konda Reddy Tribe) के बारे में:
इसे विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह क्या होते है (Particularly Vulnerable Tribal Groups – PVTGs):
वे जनजातीय समूह हैं जो सामाजिक और आर्थिक रूप से भारी पिछड़ेपन का सामना करते हैं। इन समूहों की विशेषताएं इस प्रकार हैं:
छोटी आबादी:
इन समूहों की आबादी आमतौर पर काफी कम है, कुछ समूहों की आबादी मात्र कुछ सौ या हजार के आस-पास होती है।
जीवन स्तर:
इन समूहों का जीवन स्तर बहुत ही कम है। उनके पास बुनियादी सुविधाएं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास आदि नहीं होती।
प्रजनन दर:
इन समूहों में प्रजनन दर काफी अधिक होती है।
सांस्कृतिक पहचान:
ये समूह अपनी समृद्ध सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं को बनाए रखते हैं।
आधुनिकीकरण का असर:
इन समूहों पर आधुनिकीकरण और विकास के प्रयास का नकारात्मक असर पड़ता है।
भारत में कुल 75 PVTGs पहचाने गए हैं जो देश के विभिन्न हिस्सों में फैले हुए हैं।
सरकार इन समूहों के लिए विशेष कल्याण योजनाएं चलाती है ताकि उनका विकास और सशक्तीकरण हो सके।
सरकार द्वारा PVTGs के लिए योजनाएं हैं, जैसे – आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका आदि। इन योजनाओं का लक्ष्य PVTGs की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाना है।
निवास स्थानः
यह जनजाति मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश के पूर्व व पश्चिम गोदावरी और खम्माम जिलों के पहाड़ी एवं वन क्षेत्रों में निवास करती है।
मातृभाषाः इनकी मातृभाषा तेलुगु है।
परिवार और विवाहः
परिवार पितृसत्तात्मक और पितृस्थानीय होता है। सामान्यतः एकल विवाह की प्रथा का प्रचलन है।
हालांकि, बहुविवाह वाले परिवार भी देखे जाते हैं।
आस्था और त्यौहारः
यह जनजाति मुतयालम्मा (ग्राम देवता), भूमि देवी (पृथ्वी देवी), गंगम्मा देवी (नदी देवी) आदि की पूजा करती है।
यह ममीदी कोठा, भूदेवी पांडुगा, गंगम्मा पांडुगा और वाना देवुडु पांडुगा जैसे त्योहार मनाती है।
विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs) के लिए भारतीय संविधान में प्रावधान हैं:
अनुच्छेद 46:
यह प्रावधान राज्य को शैक्षिक और आर्थिक हितों का संरक्षण करने और उनका विकास करने का दायित्व सौंपता है।
अनुच्छेद 342:
यह प्रावधान राष्ट्रपति को यह शक्ति देता है कि वह राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में जनजातीय समूहों को पहचाने और उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे।
अनुच्छेद 15(4):
यह प्रावधान राज्य को शिक्षा और सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान करने की अनुमति देता है।
अनुच्छेद 16(4):
इन योजनाओं का लक्ष्य PVTGs की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाना है।
यह प्रावधान राज्य को सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण देने की अनुमति देता है।
इन प्रावधानों के अंतर्गत सरकार ने PVTGs के कल्याण और विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जैसे – आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका आदि।
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