यह घटना देश भर में मानव अंग तस्करी और मानव अंग(Kidney Transplant Racket) के अवैध व्यापार पर अंकुश लगाने में विविध समस्याओं को रेखांकित करती है।
मानव अंग के अवैध व्यापार(Kidney Transplant Racket) के लिए जिम्मेदार कारणः
प्रत्यारोपण हेतु मानव अंगों की अधिक मांग और कम आपूर्ति
राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) के अनुसार,
मार्च 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक-2022 में केवल 15,561 अंग प्रत्यारोपण हुए थे।
जबकि देश में अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा वाले रोगियों की संख्या 49,745 है।
गरीबीः
अधिक धन देने का लालच देकर या फिर रोजगार देने का झूठा वादा करके गरीब लोगों के अंग निकाल लिए जाते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृतिः
मानव अंग तस्करी पर रोक लगाना मुश्किल इसलिए भी है, क्योंकि अंग देने वाले तथा लेने वाले अलग-अलग देशों से संबंधित हो सकते हैं।
अंगदान करने की प्रथा का कम प्रचलनः
विकसित देशों की तुलना में विकासशील और अल्पविकसित देशों में मृत व्यक्तियों के अंगदान करने की प्रथा ज्यादा प्रचलित नहीं है।
प्रशासनिक कारणः
प्रत्यारोपण हेतु अंगों की प्राप्ति और जरूरतमंद में अंग प्रत्यारोपण के संबंध में बनी मौजूदा नीतियां कम प्रभावकारी और अपर्याप्त हैं।
मानव अंग(Kidney Transplant Racket) के अवैध व्यापार से उत्पन्न होने वाली समस्याएं:
डोनर की सहमति के बिना उसके अंग निकालना, डोनर के स्वास्थ्य और मानवाधिकारों के खिलाफ है।
साथ ही, इससे मानव अंग तस्करी के एक संगठित अपराध नेटवर्क का निर्माण होता है।
मानव शरीर के अंगों को मात्र एक वस्तु यानी कमोडिटी के रूप में देखना कई तरह के नैतिक मुद्दों को जन्म देता है।
मानव अंग के अवैध व्यापार पर रोक लगाने के लिए किए जाने वाले उपाय:
मूल कारणों का पता लगानाः
मजबूरी में अंगदान करने वाले लोगों की समस्याओं का पता लगाने का प्रयास करना चाहिए,
और लोगों को स्वेच्छा से अंगदान करने के लिए जागरूक करना चाहिए।
पीड़ित की सुरक्षा और सहायताः
इसके लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सहयोग करना चाहिए।
एकसमान कानूनी और नैतिक दिशा-निर्देशः
इस तरह की पहलें “एक राष्ट्र, एक नीति” की दृष्टि से अंग दान एवं प्रत्यारोपण के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेंगी।
निष्पक्ष चयनः
वेटिंग लिस्ट में सूचीबद्ध करने और प्रत्यारोपण हेतु मानव अंगों के आवंटन के लिए रोगियों का निष्पक्ष होकर चयन किया जाना चाहिए।
मानव अंग तस्करी को रोकने के लिए भारत द्वारा अपनाए गए उपाय:
मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 बनाया गया है-
यह कानून चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए मानव अंगों और ऊतकों को निकालने,
उनका भंडारण करने तथा उनके प्रत्यारोपण को विनियमित करता है।
साथ ही, मानव अंगों एवं ऊतकों के वाणिज्यिक लेन-देन पर रोक लगाता है।
राष्ट्रीय आरोग्य निधि (RAN) का गठन किया गया है-
इस निधि के तहत BPL परिवारों के रोगियों को हृदय, फेफड़े, लीवर व किडनी के प्रत्यारोपण हेतु 15 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाती है।
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