कलारीपयट्टू (Kalaripayattu):
कलारीपयट्टू (Kalaripayattu), को साधारणतया कलारी भी कहा जाता है।
यह भारतीय मार्शल आर्ट की एक शैली है। इसकी उत्पत्ति भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित केरल राज्य में हुई थी।
खेल मंत्रालय ने चार स्वदेशी मार्शल आर्ट की शैलियों- केरल के कलारीपयट्टू, मध्य भारत के मल्लखंब, पंजाब के गतका, मणिपुर के थांग-टा और तमिलनाडु के सिलंबम को खेलो इंडिया यूथ गेम्स (KIYG) में शामिल किया है।
भारतीय मार्शल आर्ट में कलारीपयट्टू अपने लंबे इतिहास के लिए जाना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि यह भारत की प्राचीनतम मार्शल आर्ट की शैली है जो अभी भी अस्तित्व में है।
कलारीपयट्टू का इतिहास 3,000 वर्षों से अधिक प्राचीन है।
कलारीपयट्टू के प्रदर्शन में शारीरिक अभ्यास और छद्दम द्वंद्व सशस्त्र और निःशस्त्र लड़ाई शामिल होता हैं।
इसे संगीत और ढोल-बाजे के साथ प्रदर्शित नहीं किया जाता है, यह एक मूक युद्ध शैली है, जिसमें लड़ने की तकनीक/शैली का महत्व सर्वाधिक है।
कलारीपयट्टू का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलू पादकौशल है। इसमें किक स्ट्राइक और शस्त्र आधारित युद्ध अभ्यास भी शामिल होता है।
इस युद्ध शैली का अभ्यास महिलाएं भी करती हैं।
कलारीपयट्टू में कई तकनीकें शामिल हैं। उनमें से कुछ निम्नलिखित हैंः
• उझिचिल (Uzhichil) या गिंगली तेल ठंडा करके मालिश करना।
मैप्पयट्टु (Maippayattu) या शारीरिक व्यायाम।
कोलथारिपयट्टु (Koltharipayattu) या लड़ाई के लिए लकड़ी के अस्त्रों का उपयोग।
अंगा थारी (Anga Thari) या विभिन्न धातुओं के हथियारों का उपयोग प्रशिक्षण और लड़ाई के दौरान किया जाता है।• ओट्टा (एक S-आकार की छड़ी) से लड़ाई करना।
नोट: तमिलनाडु की एक आधुनिक और वैज्ञानिक मार्शल आर्ट सिलंबम, लाठी (staff) चलाने की एक शैली है।