अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) संधि-आधारित एक अंतर-सरकारी संगठन है। इसे(international solar alliance) भारत और फ्रांस ने मिलकर शुरू किया है।
इसे 2015 में पेरिस में संपन्न हुए जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के COP-21 के अवसर पर लॉन्च किया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के बारे में:
मुख्यालयः
इसका मुख्यालय भारत के हरियाणा राज्य के गुरुग्राम जिले में स्थित है।
उद्देश्य:
सौर ऊर्जा के बढ़ते उपयोग का समर्थन करने के लिए सौर संसाधन समृद्ध देशों के बीच सहयोग के लिए एक समर्पित मंच प्रदान करना।
ISA फ्रेमवर्क समझौता 2017 में लागू हुआ था। 2020 में इसके फ्रेमवर्क समझौते में संशोधन किया गया था।
इस संशोधन के बाद अब संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश ISA में शामिल होने के लिए पात्र हैं।
मुख्य रणनीतिः
यह ‘टुवर्ड्स 1000 स्ट्रेटेजी’ से मार्गदर्शन प्राप्त करता है।
इसके तहत ISA के निम्नलिखित लक्ष्य हैं:
2030 तक सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में 1,000 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश जुटाना;
स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से 1,000 मिलियन लोगों को ऊर्जा उपलब्ध कराना;
1,000 गीगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करना आदि।
ISA का महत्त्व भारत के लिएः
इसके माध्यम से भारत स्वच्छ ऊर्जा में नेतृत्वकारी भूमिका निभा सकता है;
2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने में मदद मिल सकती है
यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है आदि।
वैश्विक स्तर परः
ISA विश्व भर में हर साल 1,000 मिलियन टन तक CO2 उत्सर्जन कम करने में मदद करेगा।
इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ISA ने 9 व्यापक कार्यक्रम अपनाए हैं।
यह सौर ऊर्जा के लिए बाजार का विकास करने में मदद कर सकता है आदि।
ISA से संबंधित चुनौतियां:
(1) सौर ऊर्जा से संबंधित उपकरणों (सोलर पैनल्स इत्यादि) की आपूर्ति में चीन का दबदबा है
(2) सौर ऊर्जा को ग्रिड से एकीकृत करने में तकनीकी चुनौतियां मौजूद हैं
(3) सौर ऊर्जा क्षेत्रक में जोखिमों और अनिश्चितताओं के कारण कम निजी निवेश हो पाता है आदि।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) द्वारा शुरू की गई पहले:
सोलर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन रिसोर्स सेंटर (STAR-C) इनिशिएटिवः
इसका उद्देश्य क्षमता निर्माण प्रयासों का समर्थन करना और संस्थागत मजबूती लाना है।
वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड (OSOWOG):
इसका उद्देश्य अलग-अलग क्षेत्रीय ग्रिड्स को एक कॉमन ग्रिड से जोड़ना है।
इस कॉमन ग्रिड का उपयोग नवीकरणीय ऊर्जा से उत्पादित विद्युत की आपूर्ति करने के लिए किया जाएगा।
साथ ही, इससे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (विशेष रूप से सौर ऊर्जा) की क्षमता का उपयोग किया जा सकेगा।
ग्लोबल सोलर फैसिलिटी (GSF):
इसका उद्देश्य संपूर्ण अफ्रीका में वंचित सेग्मेंट्स और भौगोलिक क्षेत्रों में सौर ऊर्जा संबंधी निवेश को बढ़ावा देना है।
मिड-करियर प्रोफेशनल्स के लिए ISA सोलर फैलोशिपः
इसे सौर ऊर्जा परियोजनाओं आदि के प्रबंधन के लिए आवश्यक कुशल और योग्य पेशेवर कार्यबल के निर्माण हेतु आरंभ किया गया है।
इससे सदस्य देशों की दीर्घकालिक विकास संबंधी जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।
https://newsworldeee.com/biomass-briquettes/india-world-news/