इसराइली वॉर कैबिनेट ने ईरान के ख़िलाफ़ अपनी अगली कार्रवाई की जानकारी देने के लिए अपने आज़माए हुए शब्द इस्तेमाल किए कि ये ‘हमारे अपने तरीक़े और अपने हिसाब से चुने वक़्त'(Iran & Israel War) पर होगी.
सात अक्टूबर को हमास के हमले के बाद वॉर कैबिनेट में शामिल हुए विपक्षी नेता बेनी गैंट्ज़ ने इस बात पर ज़ोर दिया कि उनके पश्चिमी सहयोगी उनके साथ एकजुट हैं.
उन्होंने कहा, “इसराइल, ईरान के ख़िलाफ़ है,(Iran & Israel War) दुनिया ईरान के ख़िलाफ़ है.
इसराइल की सुरक्षा के लिए हमें इसी रणनीतिक उपलब्धि को इस्तेमाल करना होगा.”
जो शब्द गैंट्ज़ ने इस्तेमाल किए, उनसे ईरान के ठिकानों पर या सीधे ईरान के अंदर हमला करने की संभावनाएं खारिज नहीं होतीं.
इसराइल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कई बार निशाने पर लिया है.
कभी साइबर अटैक से तो कभी अधिकारियों और वैज्ञानिकों की जान लेकर.
लेकिन ईरान पर उस कूटनीतिक कार्रवाई में अभी समय लग सकता है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन सबसे अमीर पश्चिमी देशों के समूह जी-7 की बैठक से चाहते हैं.
ईरान ने बड़े पैमाने पर मिसाइल और ड्रोन विकसित किए हैं
हमास के इसराइल पर हमले के बाद छिड़ी जंग का दायरा पूरे मध्य पूर्व तक बढ़ने का ख़तरा दो हफ़्ते पहले तभी पैदा हो गया था,
जब इसराइल ने दमिश्क में ईरान के दूतावात के परिसर पर हमला किया था.
एक अप्रैल को हुए इस हवाई हमले में एक वरिष्ठ ईरानी जनरल और उनके दो सहयोगी मारे गए थे.
इस हमले को अमेरिका के साथ तालमेल बिठाकर अंजाम नहीं दिया गया था.
इसराइल ने सोचा होगा कि ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कोर के सीनियर कमांडर को मारने का यही मौक़ा है और ये जोखिम उठा लेना चाहिए.
खुले तौर पर इसराइल ऐसा तर्क दे रहा है, जिससे सहमत होना कठिन है, कि राजनयिक परिसर में वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की मौजूदगी होने के कारण वहां हमला करना वैध हो जाता है.
इस हमले के तुरंत बाद ही यह साफ़ हो गया था कि ईरान जवाब देगा.
इस मामले में ईरान का संदेश गोल-मोल नहीं था बल्कि सीधे उसके सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई की ओर से आया था.
ईरान ने हमला सुपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल के बजाय धीमी गति से उड़ने वाले ड्रोन से किया, जो अपने लक्ष्यों पर पहुंचने से पहले दो घंटों तक रडार की स्क्रीन पर देखे जा सकते थे.
इसराइल के सबसे कट्टर दुश्मन से कई विश्लेषक जिस तरह के हमले की उम्मीद कर रहे थे,
ये हमला उससे कहीं बड़ा था. इससे कई इसराइलियों को उम्मीद बंध गई है कि उनका देश इसका जवाब देगा.
पहली बार इसराइल ने अपने यहां से इसराइल पर हथियार(Iran & Israel War) दागे, जिनमें 300 ड्रोन, क्रूज़ और बैलिस्टिक मिसाइलें शामिल थीं.
इनमें से लगभग सभी को एयर डिफ़ेंस ने रोक दिया.
इसके लिए इसराइल के पास अपनी भी क्षमता है और उसे अमेरिका, ब्रिटेन और जॉर्डन की भी मदद मिली, ख़ासकर अमेरिका की.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का वादा(Iran & Israel War):
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपना वादा दोहराया कि इसराइल की सुरक्षा के लिए उनका समर्थन ‘एकदम मज़बूत’ है और ‘हम आपके साथ खड़े हैं.’
अमेरिका इसके बदले इसराइल से संयम चाहता है.
राष्ट्रपति बाइडन ने प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू को स्पष्ट संदेश भेजा है- ईरान का हमला टाल दिया गया है, इसराइल को जीत मिली है, तो इस मामले को अब ईरानी धरती पर हमले करके और न बढ़ाया जाए.
इसराइल और अमेरिका ने मिलकर ईरान के 99 फीसदी ड्रोन हमले नाकाम कर दिए
एक वरिष्ठ पश्चिमी राजनयिक ने मुझे बताया कि मामला और न बढ़े, इसके लिए अब एक हद तय करना बहुत अहम हो गया है.
ईरान को भी उम्मीद है कि एक हद तय की जाएगी.
उसने संकेत दिए हैं कि दमिश्क में इसराइली हमले का जवाब दे दिया गया है और वो तभी आगे बढ़ेगा, जब उसपर दोबारा हमला किया जाएगा.
ऐसा लगता है कि दमिश्क में हुए हमले के बाद दो हफ़्तों से चले आ रहे संकट को ईरानी अब शांत करना चाहते हैं
ईरान को शायद इन हमलों में इसराइल को और नुक़सान पहुंचने की उम्मीद थी.
या शायद वह चाहता हो कि इसराइल को ऐसी कोई वजह न दें कि वह जवाबी हमला कर दे.
शायद ईरान ख़ुद के जवाबी कार्रवाई में सक्षम होने के उस डर को फिर से बनाना चाहता है,
जो दमिश्क में उसके परिसर में हमले के बाद ख़त्म सा हो गया था.
हालांकि, इसमें मुश्किल ये आ सकती है कि इसराइल(Iran & Israel War) और उसके सहयोगियों ने हवा में ही ईरान के हवाई हमलों को नाकाम कर दिया.
वैसे, ये इसराइल पर पूरी ताक़त से किया गया हमला नहीं था.
ईरान कई सालों से रॉकेट और मिसाइलों को विकसित कर रहा है. वो और भी कई हथियार दाग़ सकता था.
लेबनान में हिज़बुल्लाह भी इन हमलों में शामिल हो सकता था मगर उसने दूरी बनाए रखी.
लेबनान का ये राजनीतिक आंदोलन और मिलिशिया.. ईरान का सबसे मज़बूत सहयोगी है और उसके पास रॉकेट और मिसाइलों का बड़ा ज़खीरा है.
नेतन्याहू को मिली राहत:
ईरानी हमले के कारण जिस तरह से ग़ज़ा की ख़बरें सुर्खियों से हटी हैं, उससे इसराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू को कुछ राहत मिली होगी.
इससे मानवीय आपदा और हमास को ख़त्म करके बंधकों की रिहाई के लिए छेड़ी जंग का मक़सद हासिल होने में नाकाम रहने से ध्यान बंटा है.
कुछ दिन पहले तक इसराइल की ओर से की गई ग़ज़ा की नाकेबंदी के कारण वहां पैदा हुए अकाल को लेकर बाइडन और नेतन्याहू में खिंचाव की खबरों पर पूरी दुनिया का ध्यान था.
अब वे दोनों एकजुटता की बात कर रहे हैं.
अब नेतन्याहू खुद को एक संयमित नेता के तौर पर पेश कर सकते हैं.
भले ही इसराइल में बहुत से लोग उन्हें प्रधानमंत्री पद पर नहीं देखना चाहते लेकिन वह खुद को अपने लोगों के रक्षक के तौर पर पेश कर सकते हैं.
उनके विरोधी कहते हैं सात अक्टूबर से पहले उनकी असुरक्षित नीतियों के कारण ही हमास को लगा कि इसराइल पर हमला किया जा सकता है.
इस बीच अमेरिका लगातार ऐसा रास्ता तलाशने की कोशिश करता चला आ रहा है कि पूरे मध्य पूर्व में बड़ी जंग न छिड़ जाए.
मगर राजनयिक परिसर पर इसराइली हमले और ईरान की इसराइल पर सीधी जवाबी कार्रवाई ने सीमाओं को तोड़ा है.
ईरानी(Iran & Israel War) हमले के बाद इसराइल में दक्षिण पंथियों ने जवाबी कार्रवाई की मांग की है.
आगे भी ऐसी मांगें उठती रहेंगी.
जी-7 में जुटने वाले राजनयिकों का काम होगा कि इस क्षेत्र में जंग छिड़ने से रोकें.
इसराइल पर हमास के हमले के बाद से मामला धीरे धीरे ही सही, मगर एक बड़ी ख़तरनाक स्थिति की ओर बढ़ रहा है.
अगर इसराइल बाइडन की जवाबी हमला न करने की सलाह पर अमल करता है तो फिलहाल मध्य पूर्व राहत की सांस लेगा.
लेकिन ये इस ख़तरनाक घटनाक्रम का अंत नहीं है.
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