प्राप्त जानकारी के अनुसार, पहली बार रूस ने अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC/International North South Transport Corridor) की पूर्वी शाखा के जरिये कोयले से लदी दो ट्रेनें भारत भेजी हैं।
ये ट्रेनें कोयले को रूस के साइबेरिया से ईरान के बंदर अब्बास बंदरगाह तक लाएंगी।
अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के बारे में:
यह 7,200 किलोमीटर लंबा मल्टी-मॉडल परिवहन नेटवर्क है।
यह हिंद महासागर (अरब सागर) में स्थित भारत के पश्चिमी पत्तनों को ईरान और रूस के सेंट पीटर्सबर्ग के माध्यम से उत्तरी यूरोप से जोड़ता है।
इसका उद्देश्य इसके मार्ग में आने वाले देशों के बीच व्यापार और परिवहन कनेक्टिविटी को बढ़ाना है।
इसकी शुरुआत 2000 में ईरान, रूस और भारत ने की थी।
वर्तमान में, 13 देश इससे जुड़े हुए हैं, जैसे अज़रबैजान, आर्मेनिया आदि।
बुल्गारिया एक पर्यवेक्षक देश के रूप में इससे जुड़ा हुआ है।
इसमें 3 गलियारे शामिल हैं- मध्य, पश्चिमी और पूर्वी।
INSTC भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
यह मध्य एशिया से कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए बहुत आवश्यक है।
साथ ही, यह सुगम और अधिक किफायती परिवहन सुविधाएं प्रदान करता है।
यह स्वेज नहर व्यापार मार्ग का एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है।
INSTC से होकर भारत से रूस पहुंचने में महज 25 दिन लगेंगे, जबकि स्वेज नहर मार्ग से 45 दिन लगते हैं।
इसके अलावा, माल ढुलाई लागत में भी 30% की कमी आएगी।
यह ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। INSTC लाल सागर और होर्मुज जलडमरूमध्य जैसे खतरनाक समुद्री मार्गों से नहीं गुजर रहा है।
साथ ही, यह ऊर्जा संसाधन संपन्न मध्य एशिया, आर्कटिक, नॉर्डिक और बाल्टिक क्षेत्रों तक भारत की पहुंच सुनिश्चित करेगा।
यह गलियारा चीन के नेतृत्व वाली बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को प्रतिसंतुलित करता है।
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