इंडिया-यू.एस. डिफेंस एक्सीलेरेशन इकोसिस्टम (INDUS-X) को जून 2023 में “इनिशिएटिव फॉर क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (iCET)” के तहत शुरू किया गया था।
INDUS-X पहल का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा नवाचार में सहयोग को बढ़ाना है। INDUS-X पहल अमेरिकी और भारतीय रक्षा कंपनियों, इन्क्यूबेटर्स एवं एक्सेलरेटर्स, निवेशकों तथा विश्वविद्यालयों के बीच साझेदारी को बढ़ाने में मदद करती है।
INDUS-X की उपलब्धियां:
इसने खुफिया, निगरानी एवं टोही (ISR) और सेमीकंडक्टर्स जैसे अलग-अलग रक्षा डोमेंस में दोनों देशों की रक्षा कंपनियों के बीच वाणिज्यिक सहयोग बढ़ाया है।
दोनों देशों के बीच नवाचार के संयुक्त वित्त-पोषण के तौर-तरीके खोजने में मदद की है।
INDUS-X गुरुकुलः
यह अमेरिकी और भारतीय रक्षा स्टार्ट-अप्स के लिए एक एजुकेशन सीरीज है।
इस सीरीज में दोनों देशों के स्टार्ट-अप्स को सरकारी अधिकारियों और उद्योग जगत के लोगों से संवाद करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
उद्योग जगत और शिक्षा जगत के बीच संपर्क को बढ़ावाः
इस पहल ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और लाइसेंसिंग पर उत्कृष्ट कार्य-पद्धतियों के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया है।
साथ ही, नई रक्षा प्रौद्योगिकी डोमेन में अनुसंधान को बढ़ावा देने में भी मदद की है।
भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग:
2016 में, अमेरिका ने भारत को “प्रमुख रक्षा भागीदार” का दर्जा दिया था।
दोनों देशों ने निम्नलिखित रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं:
2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA),
2018 में कम्युनिकेशंस कंपैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (COMCASA),
2019 में औद्योगिक सुरक्षा समझौता, और
2020 में बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (BECA)।
इनिशिएटिव फॉर क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (iCET):
इसे कई क्षेत्रकों में प्रौद्योगिकी के स्तर पर व्यापक सहयोग बढ़ाने के लिए शुरू किया गया है।
इसमें वाणिज्यिक के साथ-साथ रक्षा प्रौद्योगिकियों को भी शामिल किया गया है।
रक्षा औद्योगिक सहयोग के लिए अमेरिका-भारत रोडमैपः
इसका लक्ष्य परस्पर हित के क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी सहयोग और संयुक्त उत्पादन बढ़ाने में तेजी लाना है।
भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका रक्षा संबंधों का महत्त्वः
यह संबंध स्वतंत्र, खुला और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने के दोनों देशों के रणनीतिक उद्देश्यों के अनुरूप है।
यह अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों और क्षमताओं के विकास के साथ-साथ रक्षा औद्योगिक विकास हेतु भी महत्वपूर्ण है।
दोनों देशों के बीच बढ़ता रक्षा सहयोग चीन के बढ़ते प्रभाव से उत्पन्न सामरिक चुनौतियों से निपटने में सहायक है।
स्पेस फोर्स व रक्षा में AI का उपयोग, समुद्री डोमेन जागरूकता जैसे रक्षा क्षेत्रक के नए डोमेन्स के विकास में उपयोगी है।