Mon. Dec 23rd, 2024

यह प्रतिनिधि मंडल तटस्थ विशेषज्ञ कार्यवाही (Neutral Expert Proceedings) प्रक्रिया के तहत भारत आया है। यह प्रतिनिध मंडल सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) के तहत किशनगंगा (330 मेगावाट) और रतले (850 मेगावाट) जलविद्युत परियोजनाओं का निरीक्षण करेगा।

किशनगंगा जलविद्युत परियोजनाः

यह एक रन-ऑफ-द-रिवर जलविद्युत परियोजना है।

यह किशनगंगा नदी के जल को जम्मू-कश्मीर में झेलम नदी बेसिन में स्थित एक विद्युत संयंत्र तक ले जाती है।

रतले जलविद्युत परियोजनाः

यह जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर स्थित है।

सिंधु जल संधि(Indus Waters Treaty) के बारे में:

Indus Waters Treaty

IWT पर 1960 में भारत और पाकिस्तान ने हस्ताक्षर किए थे

इस संधि पर विश्व बैंक द्वारा मध्यस्थता की गई थी।

यह संधि सिंधु नदी प्रणाली के जल के उपयोग से संबंधित दोनों देशों के अधिकारों एवं दायित्वों को निर्धारित और सीमित करती है।

सिंधु नदी प्रणाली में छह मुख्य नदियां शामिल हैं, जिनकी कई सहायक नदियां हैं। 

नदी जल (Indus Waters Treaty) के बंटवारे के प्रावधानः

Indus Waters Treaty

पूर्वी नदियों-

सतलुज, ब्यास और रावी का समस्त जल भारत को आवंटित किया गया है।

पश्चिमी नदियों-

सिंधु, झेलम और चिनाब का जल ज्यादातर पाकिस्तान के लिए निर्धारित किया गया है।

भारत को IWT, 1960 के तहत कुछ प्रतिबंधों के साथ,

झेलम और चिनाब नदियों की सहायक नदियों पर पनबिजली इकाइयों का निर्माण करने की अनुमति है।

दोनों देशों के बीच किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाओं की डिज़ाइन संबंधी विशेषताओ को लेकर असहमति है।

उल्लेखनीय है कि विश्व बैंक इनमें से किसी भी परियोजना को वित्त पोषित नहीं कर रहा है।

यह संधि 3 चरणीय विवाद समाधान तंत्र प्रदान करती है:

चरण-1: संधि के कार्यान्वयन से जुड़े विवाद को हल करने के लिए स्थायी सिंधु आयोग को हर साल कम-से-कम एक बार बैठक करना आवश्यक है।

चरण-2: जल-बंटवारे पर अनसुलझे मतभेदों को निपटाने के लिए तटस्थ विशेषज्ञ नियुक्त किए जा सकते हैं।

चरण-3: विवाद समाधान के लिए एक सात सदस्यीय मध्यस्थता अधिकरण यानी कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (COA) का प्रावधान किया गया है।

सिंधु जल संधि (IWT) से जुड़ी समस्याएं:

भारत और पाकिस्तान के बीच सहयोग एवं आपसी विश्वास की कमी है।

संधि में प्रावधान होने के बावजूद नदियों के जल से संबंधित कोई नियमित डेटा साझा नहीं किया जाता है।

यह संधि आपसी विश्वास और सहयोग को मजबूत करने की बजाय विवाद- समाधान तंत्र तक ही सीमित है।newsworldeee.com/iron-dome/india-world

6 thoughts on “सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) के तहत दो जलविद्युत परियोजनाओं (HEPS) का निरीक्षण करने हेतु पाकिस्तानी प्रतिनिधि-मंडल भारत के दौरे पर आया”
  1. […] नशीली दवाओं के कारोबार, आतंकवादियों द्वारा संचार, चाइल्ड पोर्नोग्राफी आदि को बढ़ावा दे सकता है।https://newsworldeee.com/indus-waters-treaty/india-world-news/https://newsworldeee.com/self-respect-marriage/ […]

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