डाकघर अधिनियम, 2023(Indian Post Office Act) को भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898 की जगह लागू किया गया है।
डाकघर अधिनियम, 2023(Indian Post Office Act) के मुख्य प्रावधानों पर एक नजर:
डाक सेवाओं के महानिदेशक (DGPS) को भारतीय डाक (India Post) का प्रमुख नियुक्त किया जाएगा। डाक सेवाओं के महानिदेशक के पास सेवाओं के बदले शुल्क लगाने, डाक टिकटों की आपूर्ति और बिक्री जैसे मामलों पर नियम बनाने आदि से संबंधित शक्तियां होंगी।
डाक द्वारा भेजे जा रहे संदिग्ध पार्सल को रोकने की शक्तियां:
केंद्र सरकार कुछ निर्धारित आधारों पर भारतीय डाक के माध्यम से भेजे जा रहे किसी पार्सल को जब्त कर सकती है।
जिन आधारों पर पार्सल जब्त किया जा सकता है, उनमें देश की सुरक्षा, राष्ट्रों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, लोक व्यवस्था, आपातकाल या लोक सुरक्षा शामिल हैं।
जवाबदेही से उन्मुक्तिः डाकघर अपने द्वारा प्रदत्त सेवाओं के लिए जवाबदेह नहीं होगा।
हालांकि, कुछ निर्धारित प्रदान की जाने वाली सेवाओं के मामले में डाक विभाग को जवाबदेह बनाया गया है।
इस अधिनियम में किसी भी प्रकार के अपराध या दंड का प्रावधान नहीं किया गया है।
उदाहरण के लिए, डाक अधिकारी द्वारा पार्सल को अनाधिकृत रूप से खोलना अपराध नहीं माना जाएगा।
हालांकि, इससे उपभोक्ताओं के निजता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है।
अधिनियम(Indian Post Office Act) का महत्त्व:
यह अधिनियम नागरिक केंद्रित सेवाओं, बैंकिंग सेवाओं और सरकारी योजनाओं के लाभों को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए एक सरल विधायी फ्रेमवर्क तैयार करता है।
यह ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस और डाक भेजने की प्रक्रिया में सहजता को बढ़ावा देगा।
भारत में ब्रिटिश काल के दौरान डाक व्यवस्था:
ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1727 में अपना पहला डाकघर खोला था।
गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी ने भारतीय डाकघरों को राष्ट्रीय महत्त्व के एक अलग संगठन के रूप में मान्यता दी थी।
आज कोलकाता में जिस जगह जनरल पोस्ट ऑफिस है, वह पहले फोर्ट विलियम था।
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