हाल ही में, भारत के प्रधान मंत्री ने मास्को में रूसी राष्ट्रपति के साथ वार्षिक शिखर सम्मेलन(India-Russia Annual Summit) की सह-अध्यक्षता की है।
शिखर सम्मेलन के बाद एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया।
शिखर सम्मेलन(India-Russia Annual Summit) के मुख्य परिणामों पर एक नजर:
व्यापार और आर्थिक साझेदारीः
2030 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करके द्विपक्षीय लेन-देन निपटान प्रणाली को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया है।
अवसंरचना एवं प्रौद्योगिकी सहित परमाणु, तेल और पेट्रोकेमिकल क्षेत्रकों में ऊर्जा सहयोग का विस्तार करने पर सहमति बनी है।
परिवहन और कनेक्टिविटीः
अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC), उत्तरी समुद्री मार्ग तथा चेन्नई-व्लादिवोस्तोक पूर्वी समुद्री गलियारा जैसी परियोजनाओं को लागू किया जा रहा है।
इन परियोजनाओं के माध्यम से भारत के साथ कार्गो व्यापार में बढ़ोतरी की जाएगी।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में व्यापक सुधारः
इन सुधारों का उद्देश्य UNSC के मंच पर समसामयिक वैश्विक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करना और इस मंच को अधिक प्रतिनिधिक, प्रभावी और कुशल बनाना है।
आतंकवाद से निपटनाः
सम्मेलन में दोनों देशों ने ‘कॉम्प्रिहेंसिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म इन द यूएन फ्रेमवर्क’ को शीघ्र अंतिम रूप देने और अंगीकृत करने की मांग की है।
इसके अलावा, दोनों देशों ने आतंकवाद और आतंकवाद के लिए अनुकूल हिंसक उग्रवाद से निपटने पर UNGA एवं UNSC संकल्पों का कार्यान्वयन करने की भी मांग की है।
रूस-यूक्रेन युद्ध पर मतः
भारतीय प्रधान मंत्री ने रूसी राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि,
रूस व यूक्रेन को आपस में वार्ता और कूटनीति के माध्यम से रूस-यूक्रेन संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान खोजना चाहिए।
सैन्य सहयोगः
शिखर सम्मेलन में मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम के तहत रूसी मूल के हथियारों और रक्षा उपकरणों के रखरखाव के लिए,
स्पेयर पार्ट्स, कॉम्पोनेंट्स, एग्रीगेट्स तथा अन्य उत्पादों के भारत में संयुक्त विनिर्माण को प्रोत्साहित करने पर सहमति हुई।
अन्य संबंधित तथ्य:
ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल (Order of St Andrew the Apostle):
वार्षिक शिखर सम्मेलन 2024 के अवसर पर भारत के प्रधान मंत्री को रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान,
ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल से सम्मानित किया गया।
यह पुरस्कार देने की घोषणा 2019 में “रूस और भारत के बीच विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी
तथा रूसी एवं भारतीय लोगों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने में असाधारण सेवाओं” के लिए की गई थी।
इस पुरस्कार की शुरुआत 1698 में की गई थी। यह पुरस्कार सर्वोत्कृष्ट असैन्य या सैन्य सेवा के लिए दिया जाता है।
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