हाल ही में, नेपाल की कैबिनेट ने 100 रुपये के नए नेपाली नोटों की छपाई को मंजूरी दी है। इन नए नोटों की विशेषता यह है कि इन नोटों पर नेपाल का नक्शा भी होगा, जो भारत और नेपाल के विवादित क्षेत्र(India- Nepal Dispute Areas) को दर्शाता हैं।
चिंतनीय विषय यह है कि इस नक्शे में भारतीय राज्यक्षेत्रों (लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी)(India- Nepal Dispute Areas) को नेपाली क्षेत्रों के रूप में दर्शाया गया है।
गौरतलब है कि नेपाल इन इलाकों को अपने क्षेत्र मानता है।
• इससे पहले भी, 2020 में नेपाल ने अपना दुसरा संविधान संशोधन विधेयक पारित किया था।
इस विधेयक में भारत के इन क्षेत्रों पर नेपाल ने अपने दावों को कानूनी दर्जा प्रदान किया गया था।
• नेपाल और भारत के बीच सबसे बड़ा क्षेत्रीय विवाद कालापानी को लेकर है।
यह भारत, नेपाल और तिब्बत (चीन) के बीच एक ट्राइ-जंक्शन पर स्थित है।
India- Nepal Dispute Areas) विवाद की शुरुआत:
• ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और तत्कालीन नेपाली गोरखा शासकों के बीच 1816 में सगौली की संधि हुई थी।
इस संधि में उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र का सीमांकन किया गया था और काली नदी को भारत और नेपाल के बीच सीमा माना गया था।
काली नदी के पश्चिमी क्षेत्र को भारतीय क्षेत्र माना गया, जिसमें कुमाऊं- गढ़वाल भी शामिल हैं।
• उल्लेखनीय है कि दोनों देशों के बीच काली नदी की उत्पत्ति को लेकर भी असहमति है।
नेपाल कालापानी के पश्चिम में बहने वाली नदी को मुख्य काली नदी मानता है।
यह नदी लिम्पियाधुरा या इसके निकटवर्ती लिपुलेख दरें से निकलती है।
इसलिए, नेपाल कालापानी पर अपना राज्यक्षेत्र होने का दावा करता है।
हालांकि, भारत का तर्क है कि काली नदी का उद्गम पंखागढ़ नामक एक छोटी सी नदी से होता है।
यह कालापानी के दक्षिणी भाग पर स्थित है। साथ ही, इस क्षेत्र के पूर्वी भाग पर स्थित एक छोटी पहाड़ी (रिज) ही वास्तविक सीमा है
• विवाद पर भारत का रुखः ये तीनों क्षेत्र (लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी) भारत के हिस्से हैं।
अतः भारत, नेपाल के संविधान संशोधन को एकपक्षीय, मनमाना विस्तार और अनावश्यक दावे वाला कदम मानता है।