हिमालयन वुल्फ(Himalayan wolf)
हाल ही में, हिमालयन वुल्फ का पहला IUCN-मूल्यांकन प्रकाशित हुआ।
IUCN (Himalayan wolf)मूल्यांकन के मुख्य निष्कर्ष:
घटती जनसंख्या: IUCN का अनुमान है कि हिमालयन वुल्फ
निवास स्थान यानी आबादी वाले क्षेत्र में कमी आई है।
निवास स्थान की सीमा और/या गुणवत्ता में लगातार गिरावट आई है।
हिमालयन वुल्फ (Himalayan wolf)की कुल जनसंख्या लगभग 2,275 से 3,792 के बीच है। भारत में उनकी जनसंख्या 227 से 378 के बीच दर्ज की गई है।
(Himalayan wolf)हिमालयन वुल्फ के सामने प्रमुख खतरे:
शिकार की घटती संख्या के कारण संघर्ष: हिमालयन वुल्फ के अस्तित्व को इसके निवास स्थान में परिवर्तन, इसके निवास स्थान पर अतिक्रमण और इसके जंगली शिकार की आबादी में गिरावट से खतरा है।
कुत्तों के साथ संकरण: यह विशेष रूप से लद्दाख और स्पीति में देखा गया है। जहाँ जंगली कुत्तों की आबादी बढ़ रही है।
अवैध शिकार: फर, पंजे, जीभ, सिर आदि सहित शरीर के अन्य शारीरिक अंगों के व्यापार के लिए इनका शिकार किया जाता है।
हिमालयी भेड़िया (कैनिस ल्यूपस एसएसपी. चान्को) के बारे में:
यह भेड़िये की एक उप-प्रजाति है।
निवास स्थान: यह मुख्य रूप से हिमालय (नेपाल और भारत) में पाया जाता है और तिब्बती पठार (3,900 मीटर से ऊपर) पर उच्च ऊंचाई पर पाया जाता है।
हाइपोक्सिक स्थितियों (यानी ऑक्सीजन की कमी) से निपटने के लिए आनुवंशिक अनुकूलन बनाए रखने की क्षमता होती है।
अन्य विशेषताएं: इनकी पीठ और पूंछ पर घने भूरे बाल होते हैं। इनके चेहरे, अंगों और निचले हिस्से पर हल्का पीलापन होता है।
ये भारतीय और यूरोपीय भेड़ियों से आकार में बड़े होते हैं।
हिमालयी भेड़िया(Himalayan wolf) घरेलू शिकार की तुलना में जंगली शिकार को प्राथमिकता देता है।
संरक्षण स्थिति:
ये IUCN रेड लिस्ट में वल्नरेबल की श्रेणी में शामिल हैं।
इन्हें वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित किया गया है। इसे अनुसूची-1 में रखा गया है।
CITES के परिशिष्ट-1 में शामिल हैं।
हिमालयी भेड़िये के संरक्षण के लिए कुछ सुझाए गए उपाय:
भोजन के लिए पर्याप्त शिकार आबादी सुनिश्चित करना और आवासों की सुरक्षा और पुनर्बहाली करना।
इसके प्राकृतिक आवास वाले देशों में इसके संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास करना।
वन्य प्रजाति संरक्षण कार्यक्रमों में हिमालयी भेड़िये को भी शामिल करना।