हाल ही में ‘जेंटियाना कुरु'(Gentiana kurroo) पौधा सुर्खियों में था,
क्योंकि उत्तराखंड वन विभाग की अनुसंधान शाखा के विशेषज्ञों के प्रयासों से इस ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ पौधे को विलुप्त होने के खतरे से बाहर लाया गया है।
‘जेंटियाना कुरु’ पश्चिमी हिमालय की एक स्थानिक प्रजाति है।
इसे आमतौर पर हिमालयन जेंटियन या ट्रेमाइन के नाम से जाना जाता है,
जो एक अनोखी और लोकप्रिय औषधीय जड़ी बूटी है।
इस अत्यधिक मूल्यवान पौधे (Gentiana kurroo) का पारंपरिक चिकित्सा में एक समृद्ध इतिहास है,
और आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल में इसकी महत्वपूर्ण क्षमता है।
यह लिवर रोग, पाचन विकार, मधुमेह, ब्रोन्कियल अस्थमा और मूत्र संक्रमण के इलाज में सहायक माना जाता है।
इस (Gentiana kurroo) पौधे की एक उल्लेखनीय विशेषता,
इसके विशिष्ट जीवंत, शंकु के आकार के नीले फूल हैं (एंजियोस्पर्म में नीले फूल अपेक्षाकृत असामान्य हैं)।
ये फूल (Gentiana kurroo) आम तौर पर मध्य सितंबर से अक्टूबर तक खिलते हैं,
और इनके आधार पर एक विशिष्ट सफेद या पीला धब्बा होता है।
हिमालयन जेंटियन जड़ अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है, विशेषकर यकृत रोगों के उपचार में।
परिणामस्वरूप, इसका हमेशा अत्यधिक दोहन किया गया, जिससे यह विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गया।
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) द्वारा हिमालयन जेंटियन को ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
साथ ही, यह उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड द्वारा राज्य में ‘संकटग्रस्त प्रजातियों’ की सूची में उल्लिखित 16 पौधों की प्रजातियों में से एक है।