Wed. Dec 18th, 2024

50वां “ग्रुप ऑफ सेवन(G7 Summit) ” शिखर सम्मेलन इटली के अपुलिया में आयोजित हुआ था।

भारत ने भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऊर्जा, अफ्रीका और भूमध्यसागरीय क्षेत्र विषयों पर G-7 आउटरीच सत्र में भाग लिया।

50वें G-7 शिखर(G7 Summit) सम्मेलन के मुख्य परिणामों पर एक नजर:

G-7 अपुलिया खाद्य प्रणाली पहल (AFSI) का शुभारंभः

इस पहल का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा और पोषण सुनिश्चित करने में आ रही संरचनात्मक बाधाओं को दूर करने के प्रयासों को तेज करना है।

वैश्विक अवसंरचना निवेश के लिए भागीदारी (PGII) पहल की घोषणाः

इस पहल के जरिये 2027 तक 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि जुटाई जाएगी।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर घोषणाः

“उन्नत AI सिस्टम विकसित करने वाले संगठनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय आचार संहिता” को लागू करने में सहायता करने के लिए एक ब्रांड विकसित करने की घोषणा की गई।

PGII, G-7 देशों की संयुक्त पहल है।

इसका उद्देश्य सार्वजनिक और निजी निवेश के जरिए विकासशील देशों में अवसंरचना परियोजनाओं को वित्त पोषित करने में मदद करना है।

G7 Summit

G-7 शिखर(G7 Summit) सम्मेलन के बारे में:

यह एक अनौपचारिक अंतर्राष्ट्रीय फोरम है। यह फोरम इटली, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान, यूनाइटेड किंगडम और,

संयुक्त राज्य अमेरिका को अलग-अलग विषयों पर चर्चा करने के लिए एक साथ लाता है।

उपर्युक्त सात देशों के अलावा यूरोपीय संघ भी इस शिखर सम्मेलन में भाग लेता है।

इसे 1973 के ऊर्जा संकट से निपटने हेतु आर्थिक और वित्तीय सहयोग के लिए एक फोरम के रूप में स्थापित किया गया था।

सम्मेलन 1975 में आयोजित किया गया था।

1997 से 2013 तक रूस भी इसका सदस्य था। तब इसे G-8 कहा जाता था।

हालांकि, रूस द्वारा क्रीमिया के विलय के पश्चात 2014 में रूस की सदस्यता निलंबित कर दी गई।

तब से यह G-7 के रूप में आयोजित होता रहा है।

इस संगठन की कोई स्थायी प्रशासनिक संरचना नहीं है।

वर्तमान में G-7 की प्रासंगिकता:

G-7 के सदस्य देशों की सामूहिक आर्थिक शक्ति काफी मजबूत है।

यह आर्थिक शक्ति उन्हें वैश्विक आर्थिक नीतियों को दिशा देने;

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय विनियमनों का समन्वय करने तथा व्यापार असंतुलन, मुद्रा में उतार-चढ़ाव और वित्तीय संकट जैसी आर्थिक चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम बनाती है। 

चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की प्रतिक्रिया में वैश्विक अवसंरचना निवेश के लिए भागीदारी (PGII) की शुरुआत भी इस समूह की प्रासंगिकता की सूचक है।

इस संगठन ने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जैसे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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