पृथ्वी प्रत्येक 24 घंटे के औसत सौर समय में सूर्य के सापेक्ष अपनी धुरी पर घूर्णन(Earth rotation) करती है।
पृथ्वी की घूर्णन धुरी सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा के तल के सापेक्ष लगभग 23.5 डिग्री के कोण पर झुकी हुई है।
पृथ्वी का घूर्णन(Earth rotation) तीन प्रमुख भूभौतिकीय प्रक्रियाओं से प्रभावित होता है:
• ज्वारीय क्षय (Tidal dissipation):
उथले और गहरे दोनों सागरों के समुद्री जल और समुद्री नितल के बीच निरंतर घर्षण होता रहता है।
इसने पृथ्वी की घूर्णन गति को लगातार धीमा किया है।
• पृथ्वी का कोरः
पृथ्वी का आउटर कोर तरल अवस्था में है।
इसके अंदर धाराओं के प्रवाह में बदलाव होता रहता है, जिसके चलते पृथ्वी का घूर्णन प्रभावित होता है।
• हिमनदों का पिघलनाः
ध्रुव पर हिमनदों के पिघलने से निकलने वाला जल वैसे तो सभी महासागरों में जाता है,
परन्तु यह सबसे ज्यादा भूमध्य रेखा के आस-पास जाकर एकत्रित होता है।
• इसके चलते पृथ्वी के आकार में बदलाव आता है।
यह पृथ्वी को चपटा बनाता है, जिससे पृथ्वी की घूर्णन गति धीमी हो जाती है।
(Earth rotation)अध्ययन के मुख्य बिंदुओं पर एक नजरः
• हालिया वर्षों में पृथ्वी के कोर की संरचना में बदलाव के कारण इसकी घूर्णन गति तेज हो गई है।
यद्यपि, जलवायु परिवर्तन के चलते ध्रुवीय बर्फ के पिघलने से इस बढ़ती गति में कमी आई है।
• यदि पृथ्वी के घूर्णन में तेजी आती तो घड़ियों को सही रखने के लिए, दो साल के समय अंतराल में एक नेगेटिव लीप सेकंड जोड़ना जरूरी हो जाता।
• हालांकि, जलवायु परिवर्तन की वजह से यह प्रक्रिया तीन साल और टल गई है तथा अब यह 2029 में होगी।
लीप सेकेंड के बारे में:
• ऐतिहासिक रूप से, यूनिवर्सल टाइम कोआर्डिनेटेड (UTC) को समय के मानक के रूप में अपनाया गया है।
इसके अनुसार एक दिन 86,400 सेकंड (24 घंटे 60 मिनट * 60 सेकंड) का होता है।
• हालांकि, एक दिन की औसत अवधि पृथ्वी की घूर्णन गति पर निर्भर करती है।
• पृथ्वी की घूर्णन गति में उतार-चढ़ाव की स्थिति में UTC में लीप सेकंड जोड़ दिए जाते हैं।
• पृथ्वी के घूर्णन की गति धीमी होने की स्थिति में एक नकारात्मक लीप सेकंड घटाया जाता है।
इसके विपरीत, पृथ्वी के घूर्णन की गति तेज होने पर एक सकारात्मक लीप सेकंड जोड़ा जाता है।