प्रत्यक्ष बुआई (Direct seeding) फसल बुवाई की एक पद्धति है।
इसमें धान उगाने की परंपरागत विधि के विपरीत चावल के बीज प्रत्यक्ष रूप से खेत में बोए जाते हैं।
ज्ञातव्य है कि धान उगाने की परंपरागत विधि में नर्सरी में पौध उगाए (Seedlings) जाते हैं
तत्पश्चात जल से भरे खेतों में उनकी रोपाई की जाती है।
प्रत्यक्ष बुआई वाले चावल (Direct-seeded rice : DSR) को वर्तमान समय में सर्वाधिक दक्ष, संधारणीय और आर्थिक रूप से व्यवहार्य चावल उत्पादन पद्धतियों में से एक माना जाता है।
एशिया में प्रचलित परंपरागत पडुल ट्रांसप्लांटेड राइस (Puddled transplanted rice: PTR) विधि की तुलना में, DSR विधि में फसल रोपाई जल्दी हो जाती है और वह जल्दी पक जाती हैं।
साथ ही, इससे जल और श्रम जैसे दुर्लभ संसाधनों का संरक्षण होता है।
यह विधि मशीनीकरण के लिए अधिक अनुकूल है, और जलवायु परिवर्तन में योगदान देने वाली ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करती है।
प्रत्यक्ष बुआई(Direct seeding) के लाभ:
अनुकूलतम दशाओं में उपज में कोई विशेष कमी नहीं.
दक्ष जल प्रबंधन पद्धतियों के अंतर्गत सिंचाई जल पर 12-35% की बचत.
अंकुरों को उखाड़ने और रोपाई को समाप्त करके श्रम और कठिन परिश्रम को कम करती है.
खेती में लगने वाले समय, ऊर्जा और लागत को में कमी करती है
प्रत्यक्ष बुवाई से पौधे पर किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़ता है
फसलें जल्दी तैयार हो जाती हैं
GHG उत्सर्जन में कमी आती है
मैकेनाइज्ड DSR, सर्विस प्रोविजन बिजनेस मॉडल (Service provision business model) के माध्यम से युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित होते हैं.
खेती की लागत कम करके कुल आय बढ़ाती है
वर्तमान में इसके समक्ष आने वाली बाधाएं:
बीज दरों का अत्यधिक होना
बीजों को पक्षियों और कीटों से जोखिम रहता है
खरपतवार प्रबंधन
जल भराव (lodging) का उच्च जोखिम
फसलों की बुवाई खराब या एक समान नहीं होने का जोखिम होता है।
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