RBI ने केंद्र सरकार की सहमति से सार्क करेंसी स्वैप फ्रेमवर्क(Currency Swap Framework) को संशोधित किया है।
इसके तहत RBI, सार्क (SAARC)देशों के उन केंद्रीय बैंकों के साथ द्विपक्षीय स्वैप समझौता करेगा, जो स्वैप सुविधा का लाभ उठाना चाहते हैं।
करेंसी स्वैप एग्रीमेंट (CSA) एक तरह का अनुबंध होता है।
इसमें दो पक्ष एक निर्धारित दर पर दो मुद्राओं का आदान-प्रदान करने तथा फिर भविष्य में एक निश्चित तिथि पर सहमत दर पर उन मुद्राओं की दोबारा अदला-बदली करने के लिए सहमत होते हैं।
उदाहरण के लिए एक अमेरिकी कंपनी A ब्रिटेन की कंपनी B को 10,000,000 पाउंड के बदले में 15,000,000 डॉलर देने के लिए सहमत हुई है।
अनुबंध अवधि के अंत में, कंपनियां एक-दूसरे को देय मूल राशि का वापस भुगतान कर देंगी।
इससे पहले, 2012 में भी सार्क देशों ने अल्प अवधि के लिए विदेशी मुद्रा ऋण प्राप्त करने हेतु मुद्रा स्वैप तंत्र पर एक फ्रेमवर्क अपनाया था।
संशोधित फ्रेमवर्क(Currency Swap Framework) की मुख्य विशेषताओं पर एक नजर:
इस स्वैप फ्रेमवर्क के तहत, भारतीय रुपये में एक अलग स्वैप विंडो शुरू की गई है।
यह विंडो अलग-अलग रियायतों के साथ भारतीय रुपये में स्वैप की सुविधा प्रदान करेगी।
भारतीय रुपये में स्वैप समर्थन कोष की कुल राशि 250 बिलियन रुपये (25000 करोड़ रुपये) है।
RBI एक अलग अमेरिकी डॉलर / यूरो स्वैप विंडो के तहत अमेरिकी डॉलर और यूरो में स्वैप सुविधा देना जारी रखेगा।
इस विंडो में कुल दो बिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि का प्रावधान किया गया है।
करेंसी स्वैप एग्रीमेंट(Currency Swap Framework) का महत्त्व:
यह वित्तीय संकट के दौरान विदेशी मुद्रा प्राप्त करने का एक त्वरित विकल्प उपलब्ध कराता है।
इससे देश में वित्तीय स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलती है।
यह भुगतान संतुलन के अल्पकालिक संकट को दूर करने में मदद करता है।
भारत के अन्य महत्वपूर्ण करेंसी स्वैप एग्रीमेंट:
ब्रिक्स कंटिंजेंट रिजर्व एग्रीमेंट पर 2015 में हस्ताक्षर किए गए थे।
भारत-जापान द्विपक्षीय करेंसी स्वैप एग्रीमेंट किया गया है। यह 75 बिलियन डॉलर का करेंसी स्वैप एग्रीमेंट है।
अन्य समझौतेः भारत संयुक्त अरब अमीरात (UAE) करेंसी स्वैप एग्रीमेंट, भारत-श्रीलंका करेंसी स्वैप एग्रीमेंट आदि।
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