गुजरात हाई कोर्ट ने क्राउडफंडिंग(Crowdfunding) से संबंधित विनियमों पर विवरण मांगा है
• क्राउडफंडिंग(Crowdfunding) वेब-आधारित प्लेटफॉर्म या सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए कई निवेशकों से लघु धनराशि जुटाने की एक पद्धति है।
यह धनराशि विशेष परियोजना, व्यावसायिक उद्यम या सामाजिक उद्देश्य के लिए जुटाई जाती है।
• घन जुटाने की पारंपरिक पद्धति के अंतर्गत धनराशि केवल सीमित स्रोतों से ही जुटाई जाती है।
• भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI/ सेबी) भारत में क्राउडफेडिंग(Crowdfunding) को विनियमित करता है।
क्राउडफंडिंग(Crowdfunding) पर सेबी के दिशा-निर्देश:
• केवल “मान्यता प्राप्त निवेशक” ही निवेश कर सकते हैं।
इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत निगमित कंपनियां, जिनकी न्यूनतम नेट वर्थ 20 करोड़ रुपये है।
• उच्च नेट वर्थ वाला व्यक्ति, जिसकी न्यूनतम नेट वर्थ 2 करोड़ रुपये है।
पात्र खुदरा निवेशक, जिनकी न्यूनतम वार्षिक सकल आय 10 लाख रुपये है।
क्राउडफंडिंग(Crowdfunding) के लाभ:
• इसके जरिए नवीन विचारों को वित्त-पोषण और स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहन मिलता है।
• लघु व मध्यम उद्यमों के लिए ऋण जुटाना आसान हो जाता है।
• यह प्राकृतिक आपदाओं के दौरान धन जुटाने का बेहतर साधन है।
• इसके जरिए उन गरीब लोगों के लिए धन जुटाया जा सकता है, जो कैंसर जैसी घातक बीमारियों से जूझ रहे हैं।
क्राउडफंडिंग का जोखिम:
• खुदरा निवेशक स्टार्ट-अप्स में निवेश से जुड़े जोखिम की प्रकृति नहीं समझ पाएंगे।
इसके अलावा, नुकसान हो गया तो उसे सहन भी नहीं कर पाएंगे।
• फ्रॉड करने वालों द्वारा वास्तविक वेबसाइट्स का दुरुपयोग किया जा सकता है।
• वेब आधारित प्लेटफॉर्म्स की निगरानी नहीं होने से आतंकवाद के वित्त पोषण, मनी लॉन्ड्रिंग जैसे जोखिम पैदा होते हैं।