चिपको आंदोलन(Chipko movement):
• चिपको आंदोलन(Chipko movement) हिमालयी क्षेत्र में वृक्षों की कटाई को रोकने के लिए किया गया एक अहिंसक आंदोलन था।
इसकी शुरुआत 1973 में सुंदरलाल बहुगुणा, गौरा देवी आदि के नेतृत्व में उत्तराखंड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश) के चमोली जिले में हुई थी।
• इस आंदोलन का नाम ‘चिपको आंदोलन’ इसलिए पड़ा था,
क्योंकि आंदोलनकारी वृक्षों को काटे जाने से रोकने के लिए चिपककर उन्हें अपने गले लगा लेते थे।
• मूलतः ‘चिपको आंदोलन’ की शुरुआत 18वीं शताब्दी में राजस्थान के बिश्रोई समुदाय ने पवित्र वृक्षों की रक्षा के लिए की थी।
• चिपको आंदोलन ‘इको फेमिनिज्म’ दर्शन का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
यह आंदोलन वन संरक्षण के प्रयासों में महिलाओं की सामूहिक लामबंदी के लिए प्रसिद्ध है।
• इको-फेमिनिज्मः
यह दार्शनिक और राजनीतिक आंदोलन का एक रूप है,
जिसमें पारिस्थितिक मुद्दों और उनके समाधान में महिलाओं की भूमिका के महत्त्व को उजागर किया जाता है।
• इको-फेमिनिज्म की विचारधारा के अनुसार, हमारी संस्कृक्ति पर एक पूंजीवादी पितृसत्तात्मक व्यवस्था का प्रभुत्व है।
इस विचारधारा के समर्थकों का मानना है कि पूंजीवादी पितृसत्तात्मक व्यवस्था में सामाजिक मूल्य और नैतिकता का निर्धारण एक ऐसे वर्ग द्वारा किया जाता है,
जो लाभ से प्रेरित होने के साथ-साथ लिंगभेदी और पुरुष-केंद्रित भी है।
इको-फेमिनिज्म(Chipko movement) के उद्भव के पीछे कारणः
• प्राकृतिक पर्यावरण के दोहन और उसे नुकसान पहुंचाने तथा पितृसत्तात्मक समाजों में महिलाओं के दमन के बीच परस्पर संबंध से इको फेमिनिज्म का उदय हुआ।
• इको-फेमिनिज्म के उद्भव का एक अन्य कारक महिलाओं द्वारा संजो के रखी गई संधारणीय प्रथाओं से संबंधित पारंपरिक ज्ञान को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाना भी है।
• महिलाओं के जीवन के अनुभवों ने भी इको-फेमिनिज्म के उदय में मुख्य कारक की भूमिका निभाई है।
महिलाओं का प्राचीन काल से ही प्रकृति और अपने आस पास के पर्यावरण के साथ घनिष्ठ जुड़ाव रहा है।
महिलाएं अपनी कई घरेलू आवश्यकताओं जैसे खाना पकाने के लिए लकड़ी, पानी आदि की पूर्ति हेतु मुख्य भूमिका निभाती रही हैं।
मौजूदा दौर में इको-फेमिनिज्म की प्रासंगिकताः
• यह दर्शन पूंजीवादी शोषण की आलोचना करता है;
• यह पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान के महत्त्व पर बल देता है; और
• यह पर्यावरणीय न्याय की मान्यता का समर्थन करता है।
इको-फेमिनिज्म से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण आंदोलन:
• नर्मदा बचाओ आंदोलन (1985):
इसका नेतृत्व पर्यावरण कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने नर्मदा पर बड़े बांध बनाने के खिलाफ किया था।
• अप्पिको आंदोलन (1980 का दशक):
यह चिपको आंदोलन से प्रेरित था।
इसके तहत कर्नाटक के पश्चिमी घाट में महिलाओं ने वनों की कटाई को रोकने के लिए वृक्षों को गले लगा लिया था।
• साइलेंट वैली मूवमेंट (1973):
इसका उद्देश्य केरल में उष्णकटिबंधीय वर्षावन(साइलेंट वैली) को एक जलविद्युत परियोजना के चलते बाढ़ ग्रस्त होने से बचाना था।
• भोपाल गैस त्रासदी के बाद मानवीय और पर्यावरणीय अन्याय के खिलाफ महिलाओं का संघर्ष, इत्यादि।