राजस्थान हाई कोर्ट ने बाल विवाह(Child Marriage) रोकने के लिए राज्य सरकार को निर्देश जारी किए हैं।
गौरतलब है कि राजस्थान में अक्षय तृतीया के त्यौहार के अवसर पर बड़ी संख्या में बाल विवाह होते हैं।
इसलिए, इस त्यौहार से पहले ही निर्देश जारी किए गए हैं।
कोर्ट ने कहा कि बाल विवाह होने पर ग्राम प्रधान और पंचायत सदस्य जिम्मेदार होंगे।
राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996 के तहत बाल विवाह पर रोक लगाना सरपंच का कर्तव्य है।
बाल विवाह(Child Marriage) के बारे में:
यूनिसेफ के अनुसार बाल विवाह का तात्पर्य 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे और,
एक वयस्क या किसी अन्य बच्चे के बीच किसी औपचारिक विवाह या अनौपचारिक गठबंधन से है।
अनौपचारिक गठबंधन में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे अपने साथी के साथ ऐसे रहते हैं, जैसे कि वे विवाहित जोड़े हों।
लड़कियां इस प्रथा से असमान रूप से प्रभावित होती हैं।
भारत में, बाल विवाह निषेध अधिनियम (Prohibition of Child Marriage Act: PCMA), 2006 के तहत,
विवाह की न्यूनतम आयु लड़कियों के लिए 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष है।
अधिनियम की धारा 16 राज्य सरकार को पूरे राज्य या क्षेत्र-विशेष के लिए बाल विवाह निषेध अधिकारी (CMPO) नियुक्त करने का अधिकार देती है।
CMPO को बाल विवाह के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने का कार्य सौंपा गया है।
बाल विवाह के लिए जिम्मेदार कारणः
लैंगिक असमानता, सामाजिक और धार्मिक प्रथाएं और मानदंड, गरीबी, शिक्षा की कमी, महिलाओं को अधीनस्थ मानने वाली पितृसत्तात्मक (Patriarchy) सोच आदि।
वर्तमान स्थितिः
NFHS सर्वेक्षण के अनुसार 20-24 वर्ष की विवाहित महिलाओं में 18 वर्ष की आयु से पहले विवाह करने वाली महिलाओं का प्रतिशत 2005-06 में 47.4% था।
यह 2019-21 में घटकर 23.3% हो गया था।
बाल विवाह(Child Marriage) को रोकने के लिए शुरू की गई पहलें:
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजनाः
यह लड़कियों की शिक्षा सुनिश्चित करने और उनके द्वारा स्कूल छोड़ने की दर को कम करने के लिए शुरु की गई है।
इससे उनके संभावित बाल विवाह को रोका जा रहा है।
सुकन्या समृद्धि योजनाः
यह योजना बाल विवाह को भी रोक सकती है,
क्योंकि यह सुकन्या समृद्धि खाते से केवल तभी आंशिक निकासी की अनुमति देती है,
जब लड़की 18 वर्ष की हो जाती है।
केंद्र ने बाल विवाह की रोकथाम सहित किसी भी प्रकार की बाल सहायता हेतु उपयुक्त कदम उठाने के लिए 24×7 आपातकालीन टेलीफोन सेवा चाइल्डलाइन (1098) की शुरुआत की है।
लड़कियों के विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करने के लिए बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021 लाया गया है।
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