क्लोरोपिक्रिन व्यापक उपयोग वाला एक फ्यूमिगेट(Chemical weapons) रसायन है।
इसका उपयोग रोगाणुरोधी, कवकनाशी, शाकनाशी, कीटनाशक, नेमैटिसाइड और युद्ध में हथियार के रूप में किया जा सकता है।
• पहली बार प्रथम विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों एवं धुरी राष्ट्रों ने इस रसायन का इस्तेमाल जहरीली गैस के रूप में किया था।
• क्लोरोपिक्रिन की विशेषताएं:
यह तैलीय लिक्विड है, जो रंगहीन से लेकर पीले रंग तक का हो सकता है।
• यह अत्यधिक वाष्पशील होता है तथा सामान्य तापमान (रूम टेम्परेचर) पर गैसीय अवस्था में पाया जाता है।
• मनुष्यों पर प्रभावः
आंखों, त्वचा व श्वास नलिका में अत्यधिक जलन; उल्टी आना आदि।
रासायनिक हथियारों (Chemical weapons) के बारे में:
• ये युद्ध सामग्री एवं डिवाइसेज होते हैं।
इनके विषाक्त गुणों का उपयोग सजीवों को मारने या अन्य तरीके से उन्हें नुकसान पहुंचाने में किया जाता है।
• रासायनिक हथियारों(Chemical weapons) का अंतर्राष्ट्रीय विनियमनः
• रासायनिक हथियार अभिसमय (CWC) 1997 में लागू हुआ था।
इस अभिसमय को लागू करने की जिम्मेदारी “रासायनिक हथियार निषेध संगठन (OPCW)” पर है।
• यह अभिसमय रासायनिक हथियारों के विकास, उत्पादन, भंडारण और उपयोग को प्रतिबंधित करता है।
साथ ही, यह रासायनिक हथियार मुक्त विश्व सुनिश्चित करने के लिए ऐसे हथियारों के उन्मूलन हेतु इन पर नजर भी रखता है।
• भारत CWC का हस्ताक्षरकर्ता और पक्षकार देश है। भारत ने रासायनिक हथियार अभिसमय अधिनियम, 2000 भी बनाया है।
• जिनेवा प्रोटोकॉल 1925:
यह युद्ध क्षेत्र में रासायनिक और जैविक हथियारों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है।
रासायनिक हथियारों को लेकर चिंताएं:
• ऐसे हथियारों के प्रभाव केवल सैन्य क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रहते बल्कि असैन्य क्षेत्र भी इनकी चपेट में आ जाते हैं, इनके प्रभाव आजीवन महसूस किए जाते हैं,
• सीरिया, यूक्रेन जैसे हालिया संघर्षरत क्षेत्रों में इनके कथित उपयोग को लेकर वैश्विक चिंता बढ़ी है।
रासायनिक हथियार निषेध संगठन (OPCW) के बारे में:
• मुख्यालयः हेग (नीदरलैंड)।
• कार्यः इस पर “रासायनिक हथियार अभिसमय” को लागू करने की जिम्मेदारी है।
मिशनः “रासायनिक हथियार मुक्त विश्व” सुनिश्चित करने के लिए रासायनिक हथियार अभिसमय के प्रावधानों को लागू करना।
• सदस्यः 193 (भारत भी इसका सदस्य है)।
• नोबेल शांति पुरस्कारः इस संगठन को ‘रासायनिक हथियारों को समाप्त करने के व्यापक प्रयासों’ के लिए 2013 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था।