सूखे के कारण इलायची(Cardamom) की खेती संकट का सामना कर रही है
इलायची(Cardamom) के बारे में:
• यह पौधों की एक मोनोटाइप प्रजाति एलेटेरिया से संबंधित है। यह प्रजाति उष्णकटिबंधीय इंडो-मलाया क्षेत्र में पाई जाती है।
• इलायची(Cardamom) पश्चिमी घाट के सदाबहार वर्षा वनों का एक मूल पौधा है।
• इसकी खेती मुख्य रूप से केरल (58%), कर्नाटक और तमिलनाडु में की जाती है।
आवश्यक जलवायु परिस्थितियाँ:
• वर्षा: 1500-2500 मिलीमीटर (मिमी);
• तापमान: 15°C से 35°C के बीच;
• ऊँचाई: समुद्र तल से 600-1200 मीटर ऊपर।
• मिट्टी: अम्लीय वन दोमट मिट्टी।
इलायची(Cardamom) की खेती के सामने आने वाली चुनौतियाँ:
• यह एक अत्यधिक जलवायु-संवेदनशील पौधा है। इसके अलावा, इसकी खेती केवल एक विशेष क्षेत्र में ही की जा सकती है, हर जगह नहीं।
• इसका पौधा अधिक ऊंचाई पर उगता है। इस कारण इसके उत्पादन क्षेत्र के विस्तार की संभावना कम है।
• फसल पर कीटों और बीमारियों के लगने की भी संभावना है।
• विश्व बैंक के अनुसार, 2021 में भारत इलायची का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक था। सबसे बड़ा निर्यातक ग्वाटेमाला था।
इलायची(Cardamom) की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई पहल:
• मसाला बोर्ड किसानों को ऐसे क्षेत्रों में भी इसकी खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, जहां पारंपरिक रूप से इसकी खेती नहीं की जाती है।
• बोर्ड ने इलायची के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी तैयार की है। इसमें उत्पादन से लेकर विपणन तक सभी पहलुओं को शामिल किया गया है।
• इलायची(Cardamom) के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मसाला पार्कों में सामान्य प्रसंस्करण सुविधाओं के लिए बुनियादी ढांचे का विकास किया जा रहा है। साथ ही, मसाला प्रसंस्करण में अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाया जा रहा है।
स्पाइसेस बोर्ड, भारत के बारे में:
उत्पत्ति: मसाला बोर्ड अधिनियम, 1986 के तहत 1987 में गठित।
मुख्यालय: कोचीन (केरल)।
भूमिका: यह एक स्वायत्त निकाय है। यह 52 अनुसूचित मसालों के निर्यात संवर्धन और इलायची(Cardamom) की खेती के विकास के लिए काम करता है।
मंत्रालय: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय।