भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने फिर से स्पष्ट किया है कि खाद्य संरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत ह्यूमन मिल्क(Breast milk) व उसके उत्पादों के व्यावसायीकरण की अनुमति नहीं है।
इसने राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों को इसके लिए लाइसेंस नहीं देने का भी निर्देश दिया है।
ह्यूमन मिल्क(Breast milk)
इसमें कई विशिष्ट जैव-सक्रिय अणु होते हैं, जो संक्रमण और इन्फ्लेमेशन से बचाते हैं।
ये अणु प्रतिरक्षा में वृद्धि करते हैं और अंग विकास एवं स्वास्थ्यप्रद माइक्रोबियल कॉलोनाइजेशन में योगदान करते हैं।
नवजात शिशु को सुरक्षित दाता से माँ का दूध(Mother Milk)उपलब्ध कराना एक पुरानी परंपरा है और,
पिछले 100 वर्षों से दुनिया भर में इसका पालन किया जा रहा है।
लोक स्वास्थ्य सुविधाओं में स्तनपान(Breast milk) प्रबंधन केंद्र (Lactation Management Centre: LMC) पर राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के अनुसारः
दाता द्वारा स्तनपान स्वैच्छिक होना चाहिए;
दूध का दान केवल स्वास्थ्य केंद्रों पर ही किया जाना चाहिए और सामुदायिक स्तर पर इसका प्रचार नहीं किया जाना चाहिए आदि।
ह्यूमन मिल्क के व्यवसायीकरण से जुड़े मुद्देः
कम आय वाली महिलाओं का शोषणः
ह्यूमन मिल्क के व्यवसाय से हाशिए पर रहने वाली माताओं के बच्चों के स्वास्थ्य को खतरा होता है।
हाशिए पर रहने वाली माताएं धनाभाव में अपना दूध बेचने के लिए बाध्य हो जाती हैं,
जिसके कारण उनके बच्चों को माँ का पर्याप्त दूध नहीं मिल पाता है।
गुणवत्ता और सुरक्षाः ह्यूमन मिल्क में रोगजनकों और रासायनिक अवशेषों के संचरण से जोखिम पैदा हो सकता है।
ह्यूमन मिल्क का कमोडिफिकेशनः ह्यूमन मिल्क मंहगा होता है। इस कारण सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित परिवार संभवतः इसे खरीद न पाएं।