बिम्सटेक (BIMSTEC) से आशय है; वे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन।
2022 में श्रीलंका में आयोजित 5वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान बिम्सटेक चार्टर पर हस्ताक्षर किए गए थे,
और इसे अपनाया गया था।
बिम्सटेक चार्टर के लागू होने के लिए बिम्सटेक के सभी सदस्य देशों द्वारा इसकी स्थापना संबंधी आधारभूत डॉक्यूमेंट की अभिपुष्टि जरूरी थी।
नेपाल द्वारा अभिपुष्टि के साथ ही यह शर्त पूरी हो गई और 20 मई, 2024 को बिम्सटेक चार्टर लागू हो गया।
बिम्सटेक (BIMSTEC) चार्टर के बारे में:
बिम्सटेक चार्टर बिम्सटेक के लक्ष्यों, सिद्धांतों और संरचना के बारे में बताने वाला एक आधारभूत डॉक्यूमेंट है।
यह चार्टर बिम्सटेक समूह को “विधिक व्यक्तित्व” का दर्जा प्रदान करता है।
साथ ही, यह अन्य देशों / संगठनों के साथ साझेदारी बनाने तथा नए पर्यवेक्षकों और नए सदस्यों को संगठन से जोड़ने का मार्ग प्रशस्त करता है।
बिम्सटेक(BIMSTEC) के बारे में:
उत्पत्तिः बिम्सटेक एक क्षेत्रीय संगठन है। इसकी स्थापना 1997 में बैंकॉक घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर के साथ की गई थी।
प्रारंभ में इसका गठन चार सदस्य राष्ट्रों (बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड) के साथ किया गया था। तब इसका संक्षिप्त नाम BIST-EC था।
म्यांमार (1997) के इस संगठन में शामिल होने के बाद 2004 में इसका नाम बिम्सटेक (BIM- STEC) रखा गया था।
वर्तमान सात सदस्यः बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, नेपाल और भूटान।
सचिवालयः ढाका (बांग्लादेश)।
उद्देश्यः इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
तेजी से आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति के लिए अनुकूल परिवेश बनाना तथा,
बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में शांति व स्थिरता बनाए रखना।
भारत के लिए बिम्सटेक का महत्त्व:
यह संगठन भारत की एक्ट ईस्ट और नेबरहुड फर्स्ट नीति को बढ़ावा देता है।
यह दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच एक सेतु का काम करता है।
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क / SAARC) 2016 से निष्क्रिय है। ऐसे में बिम्सटेक भारत के लिए एक वैकल्पिक मंच प्रदान करता है।
बिम्सटेक के समक्ष मुख्य चुनौतियांः
संगठन की धीमी शुरुआतः बिम्सटेक के गठन के 27 वर्षों के बाद इसका चार्टर लागू हुआ है।
बिम्सटेक सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते का अभावः इसके सदस्य देश उन देशों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार में शामिल हैं, जो बिम्सटेक के सदस्य नहीं हैं।
बिम्सटेक के सदस्य देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधः
इसके कुछ उदाहरण है- रोहिंग्या शरणार्थी संकट को लेकर बांग्लादेश और म्यांमार के बीच तनाव, भारत-नेपाल सीमा विवाद आदि ।