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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों ने पाकिस्तान में उच्च उपज देने वाली पूसा बासमती किस्मों(Basmati rice) की अवैध खेती पर आपत्ति जताई है।

भारत की उच्च उपज देने वाली पूसा बासमती किस्मों की पाकिस्तान में अवैध खेती की जा रही है।

साथ ही, पाकिस्तान ने इन किस्मों को आधिकारिक रूप से पंजीकृत भी किया है।

IARI के वैज्ञानिकों ने इस पर आपत्ति जताई है और पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

Basmati rice

पूसा बासमती(Basmati rice) की वे किस्में जो मूल रूप से IARI द्वारा विकसित की गई थीं और जिनकी पाकिस्तान में अवैध खेती की जा रही है, वे हैं:-

पूसा बासमती(Basmati rice) 1121 (PB-1121):

यह अपने दोनों के  कर्नेल की अधिक लंबाई के लिए जानी जाती है।

PB-1509:

इस किस्म की फसल 115-120 दिनों में पक जाती है। जबकि अन्य उच्च उपज देने वाली बासमती किस्मों को पकने में 135-145 दिन लगते हैं।

PB-1847, PB-1885 और PB-1886 (सभी PB-1509 के उन्नत संस्करण):

इनमें बैक्टीरियल ब्लाइट और राइस ब्लास्ट फंगल रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता है।

कानूनी संरक्षण:

आईएआरआई द्वारा विकसित इन सभी किस्मों को बीज अधिनियम, 1966 के तहत अधिसूचित किया गया है। 

यह अधिनियम बुवाई या रोपण के लिए अधिसूचित फसल प्रजातियों या किस्मों के बीजों के निर्यात और आयात पर प्रतिबंध लगाता है। 

ये किस्में पौध किस्मों और किसानों के अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत भी पंजीकृत हैं।

इस अधिनियम के तहत केवल भारतीय किसानों को ही किसी संरक्षित/पंजीकृत किस्म को उगाने एवं बीज बोने, बचाने, दोबारा बोने, आदान-प्रदान करने या साझा करने की अनुमति दी जाती है। 

इस अधिनियम में प्रजनक (जो कोई नई किस्म विकसित करता है) के अधिकारों की भी रक्षा की गई है।

भारत से बासमती चावल(Basmati rice) का निर्यात:

Basmati rice

भारत दुनिया में बासमती चावल का अग्रणी निर्यातक है।

बासमती चावल(Basmati rice) सऊदी अरब, ईरान, इराक, संयुक्त अरब अमीरात और यमन को निर्यात किया जाता है।

इन देशों के लोग उबले चावल खाना पसंद करते हैं।

उबले चावल के दाने सख्त होते हैं। लंबे समय तक पकाने पर इनके टूटने की संभावना कम होती है।

बासमती चावल(Basmati rice) के बारे में:

Basmati rice

बासमती को ‘सुगंधित मोती’ के नाम से भी जाना जाता है। यह लंबे दाने वाला सुगंधित चावल है।

इसे कई शताब्दियों से मुख्य रूप से हिमालय की तलहटी में उगाया जाता रहा है।

वर्तमान में इसकी खेती जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में की जाती है।

बासमती चावल(Basmati rice) की किस्मों को लंबे समय तक धूप, उच्च आर्द्रता और सुनिश्चित सिंचाई की आवश्यकता होती है।

अब तक बीज अधिनियम, 1966 के तहत बासमती चावल की 34 किस्मों को अधिसूचित किया जा चुका है।

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