सुप्रीम कोर्ट का उपर्युक्त आदेश राजस्थान, हरियाणा और गुजरात राज्यों तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए है। गौरतलब है कि इन चार राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेश में अरावली पर्वत श्रेणी(Aravalli mountain range) का विस्तार है।
• केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार,
अरावली में अरावली पहाड़ियां और इन पहाड़ियों के चारों ओर 100 मीटर चौड़ा बफर ज़ोन शामिल हैं।
इस बफर जोन की चौड़ाई सभी जगहों पर एक जैसी रखी गई है।
• CEC का गठन टी. एन. गोदावर्मन तिरुमलपाद मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के तहत किया गया था।
इस समिति को सुप्रीम कोर्ट के पर्यावरण संबंधी निर्णयों के लागू होने की निगरानी के लिए गठित किया गया था।
अरावली पर्वत श्रेणी(Aravalli mountain range) के बारे में:
अरावली श्रेणी दुनिया के सबसे पुराने वलित पर्वतों में से एक है। यह लगभग 350 मील तक विस्तृत है।
इसका निर्माण प्रीकैम्ब्रियन युग के दौरान हुआ था।
वनस्पति और जीव-जंतुः तेंदुए, धारीदार लकड़बग्घे, सुनहरे सियार, पाम सिवेट, इंडियन क्रेस्टेड पॉर्क्यूपाइन आदि।
अरावली श्रेणी में शुष्क पर्णपाती वन पाए जाते हैं।
नदियांः अरावली से बनास, लूनी, सखी और साबरमती नदियां उत्पन्न होती हैं।
सबसे ऊंची चोटीः गुरु शिखर (राजस्थान)।
अरावली श्रेणी के समक्ष प्रमुख खतरें:
• खननः अवैध खनन के कारण 2018 में राजस्थान के अरावली क्षेत्र की 31 पहाड़ियां लुप्त पाई गई।
• वनों की कटाई: शहरीकरण के कारण इमारती लकड़ी की बढ़ती मांग को देखते हुए बड़े पैमाने पर पेड़ों को काटा जा रहा है।
इससे जैव विविधता की हानि हो रही है और भूमि का क्षरण हो रहा है।
• हरियाणा द्वारा “प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र (Natural Conservation Zone: NCZ)” को गंभीरता से नहीं लेनाः NCZ वास्तव में एक संरक्षित क्षेत्र को दिया गया नाम है।
• राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) प्लानिंग बोर्ड ने क्षत्रीय योजना-2021 (Regional Plan) को मंजूरी दी थी।
इसमें दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान की संपूर्ण अरावली रेंज को NCZ घोषित किया गया है।