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विश्व असमानता प्रयोगशाला (WIL) ने “भारत में आय और धन असमानता, 1922-2023” शीर्षक से अध्ययन प्रकाशित किया।

विश्व असमानता प्रयोगशाला (WIL) एक वैश्विक शोध केंद्र है। यह असमानता के अध्ययन के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय न्याय को बढ़ावा देने वाली सार्वजनिक नीतियों पर भी ध्यान केंद्रित करता है।

अध्ययन के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र:

• स्वतंत्रता के बाद, 1980 के दशक की शुरुआत तक असमानता में कमी आई। उसके बाद की अवधि में असमानता बढ़ने लगी और 2000 के दशक की शुरुआत से इसमें उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

• 2023 के अंत तक के आंकड़ों के अनुसार, भारत के सबसे अमीर नागरिकों के पास देश की 40.1 प्रतिशत संपत्ति है।

• भारत के शीर्ष 1 प्रतिशत अमीर लोगों की आय(income) दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, संयुक्त राज्य अमेरिका आदि देशों के शीर्ष 1 प्रतिशत अमीर लोगों की आय(income) से अधिक है।

अत्यधिक असमानता के बारे में चिंताएँ:

• यह समाज और सरकार पर अमीरों के असमान प्रभाव को बढ़ावा देता है।  इससे धनिकतंत्र (धनी वर्ग की राजशाही) को बढ़ावा मिलता है।

• गरीब लोगों के लिए गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकलना अधिक कठिन है क्योंकि उनके पास समान अवसर नहीं हैं।

• समग्र आर्थिक विकास को कम करता है।

आय(income) असमानता को खत्म करने के लिए अध्ययन में की गई सिफारिशें:

• आर्थिक आंकड़ों की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता है।

• स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक निवेश की आवश्यकता है। इससे औसत भारतीय के जीवन स्तर में सुधार होगा।

• आय(income) और संपत्ति दोनों को ध्यान में रखते हुए कर संहिता का पुनर्गठन किया जाना चाहिए।

सबसे धनी परिवारों की कुल संपत्ति पर 2% का “सुपर टैक्स” लगाया जा सकता है।

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