सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अश्लील सामग्री प्रसारित करने के लिए 18 ओटीटी प्लेटफॉर्म और संबंधित सोशल मीडिया(ott & Social media) अकाउंट को ब्लॉक कर दिया है।
• यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि इन ओटीटी प्लेटफॉर्म (ott & Social media)की सामग्री प्रथम दृष्टया निम्नलिखित कानूनों का उल्लंघन कर रही थी:
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
धारा 67: यह इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री के प्रसारण के लिए दंड का प्रावधान करती है।
• 67A : यह धारा यौन रूप से स्पष्ट कृत्यों वाली सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशित या प्रसारित करने के लिए दंड का प्रावधान करती है।
• भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 292 अश्लील सामग्री के प्रसार और वितरण पर रोक लगाती है।
• महिलाओं के अभद्र चित्रण निषेध अधिनियम, 1986 की धारा 4 के तहत महिलाओं को अश्लील या अभद्र रूप में प्रस्तुत करने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
• हाल ही में एक नई वेब सीरीज पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि आपत्तिजनक प्रस्तुति को “वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार” का हिस्सा नहीं माना जा सकता।
• हाईकोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया था।
• ये नियम महत्वपूर्ण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म(ott & Social media) को कुछ खास तरह की सामग्री की पहचान करने के लिए प्रौद्योगिकी आधारित उपायों का उपयोग करने का प्रावधान करते हैं।
• इसके अलावा, हाईकोर्ट ने निम्नलिखित कारणों से ओटीटी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म(ott & Social media) पर प्रसारित सामग्री को विनियमित करने की आवश्यकता जताई:
• इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अधिक शक्तिशाली है और सभी आयु वर्ग के लोगों की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म(ott & Social media) तक पहुंच है। इनमें कम उम्र के बच्चे भी शामिल हैं।
• अश्लील सामग्री समाज की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करती है क्योंकि यह समाज के सभी वर्गों/लोगों के मूल्यों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है।
• आपत्तिजनक सामग्री एक नैतिक मुद्दा भी है।