आठ वर्षों में ग्रेट बैरियर रीफ (जीबीआर) में पांचवीं बार बड़े पैमाने पर मूंगा ब्लीचिंग(coral bleaching.) की घटना दर्ज की गई [2016-2024]
ग्रेट बैरियर रीफ में सामूहिक कोरल ब्लीचिंग की घटना पहली बार 1998 में दर्ज की गई थी। इसके बाद यह 2002 में घटित हुई थी।
हालांकि, एक लंबे अंतराल के बाद यह घटना 2016, 2017, 2020 और 2022 में लगातार दर्ज की जाती रही है।
मूंगा विरंजन(coral bleaching)तब होता है जब स्वस्थ मूंगे बढ़ते समुद्र के तापमान के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
इससे वे अपने ऊतकों में रहने वाले जूजैंथिले नामक बैक्टीरिया को हटा देते हैं। इससे रंग-बिरंगे कोरल रंगहीन हो जाते हैं।
बड़े पैमाने पर मूंगा विरंजन(coral bleaching.)की घटना के लिए जिम्मेदार कारक:
जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के पानी का तापमान बढ़ रहा है।
उदाहरण के लिए, मेक्सिको की खाड़ी में सबसे दक्षिणी चट्टान पर समुद्र के पानी के नीचे इस समय भीषण गर्मी(heat wave) चल रही है।
सबसे गंभीर मूंगा विरंजन दक्षिणा ग्रेट बैरियर रीफ में देखा जा रहा है।
अल नीनो घटना बार-बार घटित हो रही है।
इसके कारण बड़े पैमाने पर मूंगा सफेद होने की घटनाएं भी बार-बार होती रहती हैं।
अल नीनो परिघटना बार-बार उत्पन्न हो रही है।
इससे सामूहिक कोरल ब्लीचिंग की घटना भी बार-बार और गंभीर रूप में घटित हो रही है।
पवनों के वेग और महासागरीय धाराओं के कमजोर पड़ जाने के कारण महासागरीय जल की अलग- अलग परतें मिल नहीं पा रही हैं।
साथ ही, ये आकाश को भी साफ रखने में मदद कर रहे हैं।
इस वजह से सौर विकिरण जल की गहराई तक पहुंच रहे हैं। ये भी कोरल ब्लीचिंग को बढ़ा रहे हैं।
अन्य कारक हैं: चरम निस्र ज्वार, प्रदूषण, सूर्य के प्रकाश के अत्यधिक प्रभाव में आना आदि।
ग्रेट बैरियर रीफ (जीबीआर) के बारे में:
यह ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्वी तट के साथ 2,300 किमी से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है।
यह दुनिया का सबसे बड़ा मूंगा चट्टान परिसर है। यह प्रशांत महासागर में स्थित है।
इसे 1981 में यूनेस्को विश्व धरोहर क्षेत्र घोषित किया गया था।
कोरल रीफ अरबों छोटे जीवों से बना है। इन छोटे जीवों को कोरल पॉलीप्स के रूप में जाना जाता है।
मूंगा चट्टानों(कोरल रीफ) के बारे में:
वे हजारों छोटे व्यक्तिगत मूंगों की कॉलोनियों से बने हैं। इन छोटे जीवों को पॉलीप्स कहा जाता है।
इन समुद्री अकशेरूकीय में कैल्शियम कार्बोनेट से बने कठोर बाह्यकंकाल होते हैं।
भारत में मूंगा चट्टानें कच्छ की खाड़ी, मन्नार की खाड़ी, अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप और मालवन (महाराष्ट्र) में पाई जाती हैं।