Sat. Dec 21st, 2024

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र बालकोष(UNICEF)ने जलवायु परिवर्तन (Climate change and children’s mental health)के कारण विस्थापित बच्चे और क्लाइमेट चेंज्ड चाइल्ड: द चिल्ड्रन क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स सप्लीमेंट शीर्षक से दो रिपोर्ट जारी की है।

रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम संबंधी परिघटनाओं के कारण लाखों बच्चों को अपने घरों को छोड़ना पड़ रहा है।

कुल संख्या के आधार पर देखा जाए तो तीन देश- फिलिपींस, भारत और चीन तीनों में बच्चों का विस्थापन सर्वाधिक रहा है,

2016 से 2021 तक तीनों देशों में लगभग 23 मिलियन बच्चे विस्थापित हुए हैं।

सप्लीमेंट इंडेक्स(Climate change and children’s mental health) रिपोर्ट दो घटकों की जांच करती है:

जल की कमी(water scarcity): यह घटक जल की भौगोलिक उपलब्धता का संकेतक है।

जल सुभेधता(water vulnerability):

यह घटक जल की कमी के साथ-साथ पेयजल सेवाओं तक पहुंच के अभाव को भी प्रकट करता है।

विश्व में लगभग एक बिलियन बच्चे गंभीर या अत्यधिक गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं,

जिसमें भारत, नाइजर, इरिट्रिया, यमन और बुर्किना फासो जैसे देश शामिल है।

यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2050 तक,

दुनिया भर में 18 वर्ष से कम आयु के लगभग 2.2 बिलियन बच्चे लू (heat stress)की बढ़ती घटनाओं से संबंधित जोखिम का सामना कर रहे होंगे।

जल स्वच्छता और साफ सफाई, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सामाजिक सुरक्षा जैसी सुविधाओं की कम उपलब्धता बच्चों के लिए जोखिम में वृद्धि करती हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार साफ सफाई की बेकार स्थिति के कारण 5 वर्ष से कम आयु के 1000 से अधिक बच्चों की प्रतिदिन मृत्यु होती है।

Climate change and children's mental health

जलवायु परिवर्तन(climate change) के चलते फसले बर्बाद हो रही है,

जिससे खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि देखने को मिलती है,

इसके चलते बच्चों के पौष्टिक आहार में कमी आ रही है।

अत्यधिक गर्मी, बच्चों और किशोर में पोस्ट ट्रामैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर तथा अवसाद(dipress)के साथ-साथ अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाती है

आजकल बच्चे वयस्कों की तुलना में खुले में अधिक समय बिताते हैं,

इससे बच्चों के लिए गर्मी और ठंड बारिश और हिमपात भारी एलर्जी और कीड़ों से संबंधित खतरे बढ़ जाते हैं।

जब बच्चे भावनात्मक रूप से विकास के चरण में होते हैं,

सरल शब्दों में कहें तो बच्चे भावनात्मक रूप से मजबूत नहीं होते हैं

इसलिए चरम मौसमी परिघटनाओं से बच्चों को मानसिक आघात पहुंचने का खतरा अधिक होता है।

जोखिमों से निपटना:

लू /गर्मी के समय माता-पिता या  हमारे बड़ो की जिम्मेदारी बनती हैं,

की बच्चों को बाहर खेलने के लिए कम भेजा जाए ताकि वह स्वस्थ रह सके।

बच्चों को पौष्टिक आहार देना होगा और साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना होगा।

बच्चों को सही समय पर शिक्षा और सामाजिक ज्ञान या अवेयरनेस कराना होगा।

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